शादी सर्वे: लड़कियां डरें सास से, लड़के बीवियों के खर्च से

fear-of-mother-in-lawनई दिल्ली। दिल्ली की ज्यादातर लड़कियां संयुक्त परिवार में शादी करने से डरती हैं। संयुक्त परिवार में जहां सामंजस्य बैठाना उन्हें सबसे चुनौतीपूर्ण लगता है, वहीं सास का खौफ भी कम नहीं होता। दिल्ली महिला आयोग में काउंसलिंग के लिए आने वाली लगभग सभी लड़कियों ने सास से डर की बात स्वीकारी है।

आयोग की एक सदस्य के मुताबिक, इस साल के तीन महीने में दिल्ली महिला आयोग में करीब दस जोड़े काउंसलिंग के लिए आए, जबकि फोन पर करीब 20 की काउंसलिंग की गई। इनमें अधिकतर लड़कियों ने सास का दबाव होने की बात जाहिर की। उन्हें डर था कि शादी के बाद सास की महात्वाकांक्षा पर वह खरी उतर पाएंगी या नहीं। संयुक्त परिवार को लेकर भी उनके अंदर डर साफ दिखा। एकल परिवार की अधिकतर लड़कियां काउंसलिंग के दौरान इस बात से डरी थीं कि शादी के बाद संयुक्त परिवार में सामंजस्य बैठा पाएंगी या नहीं।

वहीं, लड़कों की बात करें तो सबसे ज्यादा डर उन्हें पत्नी के खर्च करने की आदत से लगता है। काउंसलिंग के दौरान अधिकतर लड़कों ने बताया कि उन्हें इस बात का डर है कि कहीं शादी के बाद शॉपिंग के लिए पत्नी के पैसे खर्च करने की आदत रिश्ते में दरार न पैदा कर दे। महिला सदस्य के मुताबिक, दिल्ली महिला आयोग में शादी के बाद नवविवाहित जोड़ों की भी काउंसलिंग की जाती है। नवविवाहिता को अपने पति की तनख्वाह भी कम नहीं खटकती। उन्होंने बताया कि शादी के बाद पति तनख्वाह छिपाते हैं और उसे मां को दे देते हैं। विवाह पूर्व काउंसलिंग की कोआर्डिनेटर डॉ. चित्रा श्रीवास्तव ने बताया कि युवक-युवतियों के बीच आपसी संचार, व्यक्तित्व संबंधी मुद्दों, आर्थिक प्रबंधन, सेक्स संबंधी मुद्दों पर भी काउंसलिंग की जाती है।

शादी से पहले काउंसलिंग

दिल्ली महिला आयोग में विवाहित महिलाओं द्वारा शादीशुदा जिंदगी से संबंधित शिकायतें बढ़ती जा रही थी। इसलिए आयोग ने वर्ष 2008 में पूर्व वैवाहिक परामर्श सेल बनाया। इसके गठन के बाद से काउंसलिंग कराने आने वाले युवक-युवतियों की संख्या साल दर साल बढ़ती जा रही है। काउंसलिंग के दौरान युवक, युवतियों के बीच गलतफहमी को दूर करने का प्रयास किया जाता है। काउंसलिंग सेल कॉलेजों में भी अक्सर कार्यशाला का आयोजन करती है।

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