नई दिल्ली। कॉरपोरेट चैंबर सीआइआइ के मंच पर चार दिन पहले कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के भाषण में व्यवस्था की दिक्कतों के कई सवाल सामने आए थे। सोमवार को दिल्ली पहुंचे गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने दो अलग-अलग कार्यक्रमों में बिना नाम लिए राहुल गांधी के सवालों पर समाधान पेश कर दिए।
मोदी ने फिक्की के मंच से पिज्जा बनाने वाली जसुबेन का जिक्र कर कलावती की याद दिलाई। गौरतलब है कि 2008 में राहुल गांधी ने लोकसभा में विश्वास मत पर दिए भाषण के दौरान विदर्भ में आत्महत्या कर चुके किसान की पत्नी कलावती का जिक्र किया था। भाजपा आरोप लगाती है कि राहुल कलावती से मिले तो थे, लेकिन कांग्रेस ने उसके लिए कुछ किया नहीं। बाद में कलावती की बेटी और दामाद के भी आत्महत्या का मामला सामने आया था। मोदी ने गुजरात में पानी की समस्या के समाधान पर अपने प्रयोगों को गिनाया। केंद्र-राज्य संबंधों से जुड़े सवालों पर मोदी ने अपनी सोच को समाधान के सूत्रों के साथ आगे रखा। सत्ता के विकेंद्रीकरण की वकालत राहुल गांधी ने की तो मोदी ने भी सरकार कम और सुशासन ज्यादा पर जोर दिया। मोदी ने उद्यमिता पर सरकारी नियंत्रण कम करने की हिमायत की। वहीं तंज भी कसा कि दिल्ली में इतनी बड़ी सरकार है। राज्य सरकार भी है। दो-दो सरकारों के बावजूद लोग कितने सुरक्षित हैं यह सबको पता है।
सरकार व सुशासन का अंतर समझाया
सरकार का अर्थ है कानून, शासन का मतलब डिलीवरी।
सरकार का मतलब सत्ता, शासन का मतलब सशक्तीकरण।
जहां फाइल है वहां सरकार है, जहां लाइफ है वहां शासन।
सरकार आउटले है, शासन आउटकम।
शासन से मिलती है सरकार को स्वीकृति।
मोदी फंडा
भारी भरकम नहीं भरोसे वाली सरकार जरूरी।
निर्णय पर हावी होते हैं दबाव।
व्यवस्था से जनता का भरोसा हो चुका खत्म।
व्यवस्था पर भरोसा विकसित किया जा सकता है।
जनता को याचक समझना वैचारिक अपराध।
योजना में लोगों को करना होगा शामिल, डिलीवरी सिस्टम होगा तेज।
पीपीपी नहीं पी-4 का मॉडल का इस्तेमाल करना होगा।
टेक्नोलाजी का उपयोग जरूरी
सुशासन पर बल दें तो होगा सुराज का सपना पूरा।
तिजोरी खाली करना बंद करें तो वहां भी होगा सुधार।
विकेंद्रीकरण और केंद्र-राज्य संबंध जरूरी।
चीन से कड़ी प्रतिद्वंद्विता के लिए रहें तैयार देशवासी।