कोच्चि। तीस वर्षीय रसद मुहम्मद ने कभी नहीं सोचा होगा कि उनकी किडनी की खोज एक बस यात्रा में पूरी होगी। मुहम्मद की दोनों किडनियां बेकार हो गई हैं। 25 फरवरी को उनका डायलिसिस होना था। वह अस्पताल जाने के लिए बस में बैठे थे, जहां उनकी मुलाकात कैथोलिक पादरी के सेबेस्टाइन से हुई, जो उनकी अगली सीट पर बैठे हुए थे। मुहम्मद हैरान रह गए जब बातचीत के दौरान सेबेस्टाइन ने उन्हें मुफ्त में किडनी देने की बात की।
मुहम्मद ने कहा कि मैं बहुत ज्यादा दबाव में था, क्योंकि मेरी दोनों किडनियों ने काम करना बंद कर दिया था। मैं डायलिसिस के लिए रास्ते में था, जब हमने सेबेस्टाइन से बातचीत शुरू की, मैंने उन्हें अपनी समस्या बताई। उन्होंने मुझसे पहला सवाल किया कि यदि मैं अपनी किडनी आपको दे दूं, तो क्या आप उसे स्वीकार करेंगे। मुहम्मद सऊदी अरब में नौकरी किया करते थे, किडनी खराब होने के चलते उन्हें भारत लौटना पड़ा था।
सेबेस्टाइन ने कहा कि जब मैंने सुना कि इस युवा को बाध्य होकर सऊदी अरब छोड़ना पड़ा तो मैंने महसूस किया कि मैं अपनी एक किडनी दान कर उसकी मदद कर सकता हूं। उन्होंने बताया कि यह तत्कालिक फैसला नहीं था, जब मैं इस युवा मुस्लिम से बस में मिला तो लगा यह ईश्वर द्वारा दिया गया मौका है।
सेबेस्टाइन ने कहा कि मुझे लगा कि उसकी जिंदगी खत्म होने जा रही है और ये मूल्यवान बात होगी कि मैं अपने प्रयासों से उसे एक नई जिदंगी दे सकूं। मैंने मौके को लपक लिया और मिलने के ठीक अगले दिन उसको फोन किया और एक दिन बाद चिकित्सीय जांच के लिए सूचना दी। मुहम्मद ने बताया कि सर्जरी की लागत पांच लाख रुपये है और उसके मित्र तथा शुभचिंतक इस पैसे का प्रबंध कर रहे हैं।