नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से नवजोत सिंह सिद्धू की नाराजगी की वजह कुछ और ही है। सूत्रों के मुताबिक, अकाली दल चाहता है कि अमृतसर से 2014 में पार्टी के वरिष्ठ नेता अरुण जेटली चुनाव लड़ें।
सिद्धू की पत्नी नवजीत कौर ने कहा था कि वह पार्टी की उपेक्षा से आहत हैं, इसलिए भाजपा और राजनीति दोनों छोड़ सकते हैं। लेकिन, मामला कुछ और ही है। दरअसल, पंजाब में भाजपा और अकाली दल की गठबंधन सरकार है। सिद्धू अमृतसर से सांसद हैं। सिद्धू की अकाली दल से फिलहाल खटपट है। पंजाब के उपमुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल के रिश्तेदार और राज्य के राजस्व मंत्री बिक्रम सिंह मजीठिया से सिद्धू का मनमुटाव हैं। इस वजह से सिद्धू को बड़ी कीमत चुकानी पड़ सकती है।
शुक्रवार को भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने नाराज सिद्धू से बात की थी। उन्होंने सिद्धू से कहा था कि वह कोई भी बड़ा कदम उठाने से पहले पार्टी से संपर्क करें। हालांकि, अकाली दल ने सिद्धू की नाराजगी पर कहा कि यह भाजपा का अंदरूनी मामला है।
सूत्रों ने बताया कि पार्टी की तरफ से भाजपा को बता दिया गया है कि अमृतसर से 2014 के आम चुनाव में सिद्धू के बदले अरुण जेटली को टिकट दिया जाए।
गौरतलब है कि सिद्धू अमृतसर से तीन बार लोकसभा चुनाव जीत चुके हैं। वह आईपीएल टूर्नामेंट खत्म होने के बाद राजनाथ सिंह से मुलाकात करेंगे। हालांकि, इस मसले पर अब-तक सिद्धू ने कुछ भी नहीं कहा है। राजनाथ ने जब अध्यक्ष बनने के बाद अपनी नई टीम घोषित की तो उन्होंने सिद्धू को सचिव पद से हटा दिया। नितिन गडकरी के कार्यकाल में सिद्धू को सचिव बानाया गया था।
जाहिर है सिद्धू राजनाथ के इस कदम से बेहद नाराज थे। अकाली दल इस नाराजगी की आड़ में सिद्धू को अमृतसर सीट से दफा करवाना चाहता है। वह भाजपा से सुनिश्चित करवाना चाहता है कि उन्हें अमृतसर से टिकट न दिया जाए।
जानकारों के अनुसार, यदि सिद्धू को 2014 में अमृतसर से टिकट दिया जाता है तो जीत हासिल करना कठिन है। ऐसा इसलिए कि सिद्धू सांसद के रूप में अमृतसर से गायब रहे हैं। इसका मतलब साफ है कि सिद्धू को अमृतसर से टिकट मिलता है को अकाली दल का समर्थन नहीं रहेगा।
अमृतसर म्यूनिसिपल कॉर्पोरेशन चुनाव में सिद्धू और अकाली के बीच खूब जुबानी जंग हुई थी। मेयर चुनाव के लेकर सिद्ध और मजीठिया आमने-सामने आ गए थे।