दिल्ली गैंगरेप: कटी ‘नाक’ है बचाना तो कुछ कर के है दिखाना

after-four-months-still-wait-for-justice-in-delhi-gangrape-caseनई दिल्ली। पिछले वर्ष 16 दिसंबर को दिल्ली की चार्टड बस में हुए गैंगरेप मामले को मंगलवार को चार महीने पूरे हो गए, लेकिन पीड़ित परिजनों को इस मामले में न्याय मिलने का अभी तक इंतजार है।

घटना से गिरी भारत की साख:-

भारत समेत पूरे विश्व को झकझोर देने वाली इस घटना ने न सिर्फ भारत की साख विश्व स्तर पर कम हुई बल्कि इसने मानवता को भी शर्मसार कर दिया। इस मामले के सभी आरोपी जिसमें इसका मुख्य आरोपी राम सिंह भी शामिल था, ने अपनी गिरफ्तारी के बाद कहा था कि उन्हें फांसी दे दी जाए। लेकिन अब यही दरिंदे अपने बचाने के लिए हर तरह की कौड़ी फेंक रहे हैं। राम सिंह ने 11 मार्च को दिल्ली में तिहाड़ जेल के जेल नंबर दो की कोठरी में खुद को फांसी लगा ली थी।

आरोपी आजमा रहे हैं हर पैंतरा:-

इस मामले के सभी आरोपी अब अपने को बचाने की हर मुमकिन कोशिश में जुटे हैं। मामले के आरोपी विनय और पवन गुप्ता ने पिछले दिनों एक नया पैंतरा फेंका और कहा कि वह घटना के समय बस में थे ही नहीं, बल्कि उस वक्त वह एक डांस पार्टी में मौजूद थे। वहीं मुकेश ने अपने साथ पुलिसकर्मियों और अन्य कैदियों द्वारा मारपीट करने की बात कही है। उसने पुलिसकर्मियों और कैदियों से अपनी जान को खतरा तक बताया है। इतना ही नहीं वायुसेना की परीक्षा पास करने के बाद इंटरव्यू में बैठने के लिए जमानत तक मांगी है।

इसी मामले के एक अन्य आरोपी अक्षय ठाकुर ने भी अपनी जान को खतरा बताते हुए जेलकर्मी पर उसको जान से मारने की धमकी देने का आरोप लगाया है। वहीं फिजियोथेरेपिस्ट युवती से दो बार बलात्कार करने और उसके साथ सबसे ज्यादा दरिंदगी बरतने वाला नाबालिग आरोपी भी इस मामले में खुद को बेकसूर बता रहा है। उस पर 28 फरवरी को जुवेनाइल कोर्ट में आरोप तय किए गए।

मामले पर लगी पुरी दुनिया की निगाहें:-

16 दिसंबर की इस घटना पर पूरी दुनिया की निगाहें लगी हैं। हालांकि जब यह मामला फास्ट ट्रेक कोर्ट को भेजा गया था तो लगता था कि इसमें जल्द फैसला हो जाएगा। लेकिन चार माह के बाद भी कुछ नहीं हो सका है। इस मामले को पूरी दुनिया की मीडिया ने अपने यहां पर प्रमुखता से प्रकाशित किया था। हालांकि इस मामले में भले ही पीड़ित परिवार को अभी तक न्याय न मिला हो लेकिन इस मामले के बाद देश भर के फास्ट ट्रेक कोर्ट ने कई मामलों में त्वरित कार्रवाई करते हुए कुछ दिनों में ही फैसला सुना दिया।

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