बीजेपी का जवाब, नहीं चाहिए नीतीश का सर्टिफिकेट

nobody-can-give-certificate-to-modi-on-secularism-bjpनई दिल्ली । भाजपा और जदयू के बीच जारी रार की खाई और चौड़ी होती नजर आ रही है। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमले के एक दिन बाद भाजपा ने स्पष्ट शब्दों में कह दिया है कि उसे नीतीश के सर्टिफिकेट की जरूरत नहीं है। हालांकि पीएम पद की दावेदारी को लेकर भाजपा में भी उठापठक थमने का नाम नहीं ले रही। अपने सबसे बड़े सहयोगी दल की तरफ से मोदी पर हुए हमले से भाजपा संभल नहीं सकी थी कि पार्टी के वरिष्ठ नेता यशवंत सिंह ने लालकृष्ण आडवाणी को प्रधानमंत्री पद का सबसे बड़ा दावेदार बताकर इस कलह को नया आयाम दे दिया।

रविवार को नई दिल्ली में जिस अंदाज में नीतीश ने मोदी पर हमला बोला, उससे भाजपा बेहद असहज है। पार्टी इसके खिलाफ सख्त, लेकिन सधा हुआ पलटवार कर रही है। सोमवार को पार्टी प्रवक्ता मीनाक्षी लेखी ने तो नीतीश पर और तीखा हमला बोला और दंगों के लिए सीधे उन्हें ही जिम्मेदार ठहरा दिया। लेखी ने दो टूक कहा कि ‘भाजपा में सभी धर्मनिरपेक्ष हैं। 2002 में नीतीश जी भी हमारी सरकार में शामिल थे और साबरमती एक्सप्रेस कांड के दौरान वह ही रेलमंत्री थे। ऐसे में हमारे मुख्यमंत्री के बारे में कही उनकी बातों को हम खारिज करते हैं।’

नीतीश की बातों का जवाब देने के बावजूद भाजपा का शीर्ष नेतृत्व बहुत सख्त बयानबाजी से अभी परहेज कर रहा है। इसके दो कारण माने जा रहे हैं। पहला, भाजपा में खुद ही अभी प्रधानमंत्री पद को लेकर दावेदारी पर कोई निष्कर्ष नहीं निकला है। साथ ही भगवा नेतृत्व अपनी तरफ से नीतीश को गठबंधन तोड़ने का कोई मौका नहीं देना चाहता। यही कारण था कि बेहद तीखे तेवर अपना रहे बिहार भाजपा के नेताओं के सुर पार्टी अध्यक्ष राजनाथ सिंह से मुलाकात के बाद हल्के थे।

नीतीश के बयान के बाद बिहार भाजपा के वरिष्ठ नेता सीपी ठाकुर, गिरिराज सिंह और अश्विनी चौबे ने नीतीश के बयानों को आपत्तिजनक और दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए पार्टी अध्यक्ष से अचानक मिलने का समय मांगा। वैसे 18 अप्रैल को बिहार के मुद्दे पर भाजपा अध्यक्ष के साथ इनकी बैठक पहले से ही तय थी। इस पर राजनाथ ने इन तीनों से कहा भी कि जब दो दिन बाद मिलना ही था तो इतनी जल्दबाजी की जरूरत नहीं। साथ ही हिदायत दी कि गठबंधन को नुकसान पहुंचाने वाली बयानबाजी न की जाए। इसका असर दिखा और तीनों नेताओं ने बाद में कहा कि गठबंधन नहीं टूटना चाहिए और कांग्रेस व संप्रग के कुशासन से जनता को मुक्ति दिलाना पहला मकसद है।

वैसे भी भाजपा की समस्या है कि अभी तक प्रधानमंत्री पद की दावेदारी में उसके यहां घमासान जारी है। वरिष्ठ पार्टी नेता यशवंत सिन्हा ने इसका इशारा भी कर दिया। कुछ दिन पहले नरेंद्र मोदी को पीएम घोषित करने की मांग कर रहे सिन्हा ने अचानक यूटर्न ले लिया। अब उन्होंने कहा कि अगर आडवाणी जी प्रत्याशी हैं तो फिर पीएम पद को लेकर बहस रुक जानी चाहिए। एक बार हार से किसी की दावेदारी नहीं खत्म होती। सिन्हा के इस बयान से भाजपा में चल रही उठापठक एक बार फिर सामने आ गई है। पार्टी इस पर चुप है, लेकिन अंदरखाने मान रही है कि यह लड़ाई आने वाले दिनों में और बढ़ सकती है।

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