भूकंप ने ‘सोई’ दिल्ली को चेताया, कब जागेगी दिल्ली

earthquake-to-shake-buildings-in-delhiनई दिल्ली। एक बार फिर मंगलवार को भूकंप ने दिल्ली को चेताया। इस भूकंप का केंद्र ईरान-पाकिस्तान सीमा पर 7.8 रिक्टर होने के बावजूद दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में इसकी तीव्रता रिक्टर स्केल पर 5.3 रही। हालांकि दिल्ली में किसी नुकसान की खबर नहीं है, लेकिन यह भी सच है कि लगभग 60 फीसद अनियोजित तरीके से बसी दिल्ली में बने लगभग 90 फीसद असुरक्षित मकानों को भूकंप से बचाने के लिए अब तक कुछ नहीं किया गया है। वहीं, पिछले साल आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा आयोजित मेगा मॉक ड्रिल के बाद सेना द्वारा दी गई सलाह पर अब तक कोई काम नहीं किया गया है।

यूं तो सिस्मिक जोन चार में शामिल पूरी दिल्ली भूकंप की दृष्टि से संवेदनशील है और नियमों की अनदेखी कर बने मकान कभी भी भूकंप की चपेट में आ सकते हैं, लेकिन पूर्वी दिल्ली को सबसे संवेदनशील माना जाता है। इस पूरे इलाके में 80 फीसदी से ज्यादा निर्माण अनियोजित तरीके से किए गए हैं। ज्यादातर कालोनियों में ऐसी-ऐसी तंग गलियां हैं कि भूकंप आने पर अग्निशमन या एंबुलेंस की गाड़ियां नहीं पहुंच पाती। हालात यह हैं कि जब वहां कोई एक मकान तोड़ा जाता है, तो बगल वाले मकान के गिरने का खतरा पैदा हो जाता है। इन कालोनियों में पतली-पतली दीवारों के सहारे तीन-चार मंजिल के मकान खड़े कर दिए गए हैं।

अवैध कालोनियों ही नहीं नियोजित कालोनियों में बने मकानों के निर्माण में भी भूकंप से बचाव के पुख्ता इंतजाम नहीं किए गए हैं। निजी मकानों ही नहीं, बल्कि सरकारी इमारतों में भी भूकंप से बचाव के इंतजाम नहीं हैं और अब इन इमारतों में रेट्रोफिटिंग की बात की जा रही है। दिलचस्प यह है कि वर्ष 2005 में पांच सरकारी बिल्डिंगों गुरु तेग बहादुर अस्पताल, दिल्ली सचिवालय, दिल्ली पुलिस हेडक्वार्टर, लुडलो केसल अस्पताल और मंडल आयुक्त कार्यालय में रेट्रोफिटिंग की सिफारिश की गई थी, लेकिन मात्र एक बिल्डिंग में रेट्रोफिटिंग की और शेष चार बिल्डिंगों की रेट्रोफिटिंग की योजना कागजों में फंसी हुई है। ललिता पार्क में एक असुरक्षित बिल्डिंग गिरने से 72 लोगों की मौत के बाद निर्णय लिया गया था कि असुरक्षित भवनों की पहचान करके वहां मकान मालिकों को रेट्रोफिटिंग के लिए प्रेरित किया जाएगा, लेकिन अभी तक यह काम शुरू नहीं हो पाया है। हालांकि राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण द्वारा कुछ दिन पहले 450 आर्किटेक्ट, इतने ही इंजीनियर और 280 राजमिस्त्रियों को रेट्रोफिटिंग तकनीक का प्रशिक्षण दिया गया है।

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