मरहम के इंतजार में मर रहे हम

special-doctor-is-not-available-in-hospitalजम्मू। बरनेई जम्मू के रहने वाले चालीस वर्षीय तरसेम को कुछ दिन पहले ब्लीडिंग शुरू हो गई। मामला इतना बिगड़ गया कि उसे मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती करवाया गया, मगर यहां पर डॉक्टर उसका उपचार नहीं कर पाए। उसे क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज (सीएमसी) लुधियाना में ले जाना पड़ा जहां एक स्वयंसेवी संस्था के सहयोग से उसका ऑपरेशन हुआ। इन दिनों वह उसी अस्पताल में भर्ती है, मगर ठीक है।

वह हीमोफीलिया बीमारी से पीड़ित है। राज्य में हीमोफीलिया के मरीजों का यही हाल है। लंबे संघर्ष के बाद हाईकोर्ट के आदेश पर उनका जम्मू और श्रीनगर के मेडिकल कॉलेजों में इलाज तो संभव हुआ मगर विशेषज्ञ डॉक्टर नहीं मिल पाए। इस कारण आज भी राज्य में इन मरीजों का सही इलाज नहीं हो पाता है। हीमोफीलिया सोसायटी जम्मू ने स्वास्थ्य विभाग के दो डॉक्टरों को जरूर प्रशिक्षित किया था, लेकिन उन्हें इलाज की जिम्मेदारी नहीं सौंपी गई है। परिणाम स्वरूप कई मरीज बिना इलाज के ही दम तोड़ देते हैं। गत वर्ष अखनूर का रहने वाला बीस वर्षीय बलविंद्र ने बिना इलाज के ही दम तोड़ दिया था।

नब्बे के दशक से पहले तक तो राज्य में लोग इस बीमारी के प्रति अंजान थे। हालांकि, आज भी राज्य में इस बीमारी से कितने मरीज पीड़ित हैं, इसके बारे में किसी को जानकारी नहीं है। नब्बे के दशक में बनी हीमोफीलिया सोसायटी ने मरीजों को अपने साथ जोड़ कर उनका इलाज करवाना शुरू करवाया। इस समय राज्यभर में दो सौ से अधिक मरीज सिर्फ इस सोसायटी के साथ ही पंजीकृत हैं। इनकी संख्या कहीं अधिक होने की आशंका है।

इस बीमारी से पीड़ित और सोसायटी के सचिव जगदीश शर्मा कहते हैं, उन्होंने कई बार सरकार से एक ही छत के तले इस बीमारी का इलाज शुरू करने की गुहार लगाई मगर कोई लाभ नहीं हुआ। इस समय मरीजों के लिए यह स्थिति है कि उन्हें गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज (जीएमसी) से श्री महाराजा गुलाब सिंह (एसएमजीएस) में इलाज के लिए भटकना पड़ता है। इलाज के लिए हेमाटालोजिस्ट, आर्थो, न्यूरो, ईएनटी, डेंटल, फिजियोथेरेपीके विशेषज्ञ चाहिए, मगर यह एक अस्पताल में नहीं हैं। डायरेक्टर हेल्थ डॉ. मधु खुल्लर कहती हैं, जब वह गांधीनगर अस्पताल में मेडिकल सुपरिंटेंडेंट थीं तो उन्होंने हीमोफीलिया मरीजों के लिए सेंटर बनाने की पहल की थी। अब जीएमसी में सेंटर बन गया है। उनका प्रयास होगा कि स्वास्थ्य विभाग में भी इलाज संभव हो।

error: Content is protected !!