हिमालय के शिखर पर अमन का परचम लहराने का जुनून

india with pakistan flagनई दिल्ली। हिमालय के एक छोर पर दुनिया के सबसे ऊंचे मोर्चे सियाचिन पर भारत और पाकिस्तान की फौजें बरसों से आमने- सामने है। वहीं हिमालय के सबसे ऊंचे शिखर माउंट एवरेस्ट पर दोनों मुल्कों का झंडा एक साथ फहराने का बीड़ा तीन लड़कियों ने उठाया है। इस मिशन केलिए पहली बार दो जुड़वां बहनें भारत का झंडा लेकर निकली हैं, तो पाकिस्तान की पहली महिला पर्वतारोही समीना बेग भी काठमांडू के बेस कैंप पहुंच चुकी हैं। उनका अभियान मई के मध्य में अंजाम तक पहुंचेगा।

देहरादून की रहने वाली ताशी और नुंग्शी मलिक 21 बरस की हैं और एवरेस्ट फतह की हिम्मत करने चली दुनिया की पहली जुड़वां बहनों की जोड़ी है। दोनों बहनें पाकिस्तानी महिला पर्वतारोही समीना के साथ मौसम के इशारे का इंतजार कर रही हैं। मौसम ने साथ दिया की मई के दूसरे हफ्ते तक भारत-पाक की तीन लड़कियों का यह दल एवरेस्ट पर फतह का परचम लहरा सकेगा।

ज्ञात हो, हर साल एवरेस्ट चढ़ाई के लिए पर्वतारोही दलों को सही मौसम का इंतजार करना होता है। सेवानिवृत्त कर्नल वीएस मलिक की बेटियों ताशी-नुंग्शी ने शौकिया पर्वतारोहण को सिर्फ तीन साल में एवरेस्ट फतह के जज्बे में बदल लिया। दोनों बहनें अब न सिर्फ कुशल पर्वतारोही हैं, बल्कि पर्वतारोहण प्रशिक्षक भी हैं।

दैनिक जागरण से बातचीत में वीएस मलिक कहते हैं, डेढ़ साल से हम ही इन्हें रोकते रहे। इनके हौसलों पर भरोसा है लेकिन पिता के दिल का डरना भी लाजिमी है। एवरेस्ट मिशन को लेकर बेटियों के जुनून व जज्बे के लिए मलिक ने 40 लाख रुपये का इंतजाम भी किया। दोनों युवतियों को प्रोत्साहित करने वालों में कर्नल अजय कोठियाल भी हैं जिनकी अगुवाई में भारतीय सेना के महिला पर्वतारोही दस्ते समेत अनेक दल एवरेस्ट पर परचम लहरा चुके हैं।

मलिक ने बताया कि ताशी और नुंग्शी की मुलाकात बेस कैंप पर ही समीना बेग से हुई। उत्तरी पाकिस्तान की हुंजा घाटी की समीना भी एवरेस्ट चढ़ाई के लिए अपने भाई के साथ पहुंची थी। बेस कैंप पर ही ताशी-नुंग्शी और समीना के बीच रजामंदी बनी कि क्यों न मिशन को एक साथ पूरा किया जाए। पर्वतारोहण मिशन में सलाहकार एजेंसी 7 समिट ने भी इसे प्रोत्साहित किया।

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