नई दिल्ली । एम्स में भर्ती पांच वर्षीय गुड़िया की हालत अब खतरे से बाहर है। डॉक्टरों की मानें तो बच्ची पूरी रात अच्छी से सोई है। गुड़िया अपने परिवार और डॉक्टरों से अच्छी तरह से बात कर रही है। हालांकि बच्ची को हल्का बुखार है लेकिन बच्ची को एंटी बायोटिक दवाएं लगातार दी जा रही है।
एम्स के चिकित्सा अधीक्षक ने मीडिया को बताया कि गुड़िया को हल्का बुखार है। राहत की बात यह है कि एंटी बायोटिक दवाएं काम कर रही है। अस्पताल में बच्ची को करीब दो सप्ताह तक रखा जाएगा। इंफेक्शन पूरी तरह खत्म होने के बाद गुड़िया को डिस्चार्ज किया जाएगा। चिकित्सा अधीक्षक ने बताया कि बच्ची को दो तीन दिन में खाना खाने के लिए दिया जा सकता है। इससे पहले गुड़िया की शुक्रवार रात एक और बड़ी सर्जरी की गई। तीन दिन के भीतर यह उसकी दूसरी बड़ी सर्जरी थी। एम्स में सात विभागों के आठ डॉक्टर मासूम बच्ची का इलाज कर रहे हैं।
बच्ची की सेहत की दृष्टि से सकारात्मक पहलू यह है कि इस दर्दनाक हादसे के बाद भी उसकी समझने की शक्ति मजबूत है। वह माता-पिता व परिवार के लोगों को पहचान पा रही है।
डाक्टरों ने कहा कि गुड़िया को आइसीयू से वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया है। अब उसकी और सर्जरी की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि वह पूरी तरह से अलर्ट है और डॉक्टरों, नर्सो और अपने माता-पिता से बातचीत कर रही है।
उधर, बच्ची के फूफा ने बताया कि वह कभी-कभी बोल रही है। मां, पापा कहकर उन्हें ढूंढती है। इसलिए डॉक्टरों ने मां को बच्ची के पास रहने के लिए कहा है। बेटी के रोने पर लाचार मां उसे गले से लगाकर खुद भी रो पड़ती है। फिलहाल बच्ची को एम्स इमरजेंसी के पीडियाट्रिक विभाग के वार्ड में रखा गया है।
एम्स के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. डीके शर्मा ने बताया कि बच्ची के पूरे शरीर पर चोट के निशान हैं। प्राइवेट पार्ट के आसपास का हिस्सा क्षतिग्रस्त हुआ है। सर्जरी से मल पास होने के लिए अलग से जगह बना दी गई है। वह ठीक है। शरीर में संक्रमण है। उसे अभी मुंह से खाने-पीने की चीजें नहीं दी जा रही हैं। नसों के माध्यम से ग्लूकोज (आइवी फ्लूड्स) व एंटीबायोटिक्स दी जा रही हैं। वह अपने माता-पिता से बात कर रही है।
गौरतलब है कि 18 अप्रैल को दयानंद अस्पताल में बच्ची की पहली सर्जरी हुई थी, तब मोमबत्ती के तीन टुकड़े व एक प्लास्टिक की शीशी पेट से निकाली गई थी।