कोलगेट: सरकार बेनकाब, पर कानून मंत्री नहीं देंगे इस्तीफा

Law Minister Ashwani Kumarनई दिल्ली। कोयला घोटाले की रिपोर्ट में दखल देने के मामले में सीबीआइ निदेशक रंजीत सिन्हा ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर साफ कर दिया कि अश्विनी कुमार के साथ बैठक के बाद भी घोटाले की प्रगति रिपोर्ट में अहम बदलाव नहीं किए गए हैं। इधर हलफानामे को लेकर संसद में भी काफी हंगामा मचा। लोकसभा सोमवार तक के लिए स्थगित हो गई। उधर विपक्ष पीएम का इस्तीफा मांग रही है। कोर्ट में हलफनामा दाखिल होने के बाद ही यूपीए की आपात्तकालीन बैठक हुई। सभी सहयोगी दलों से विचार विमर्श के बाद यह फैसला लिया गया कि कानून मंत्री अश्विनी कुमार इस्तीफा नहीं देंगे। इस की जानकारी कांग्रेस नेता कमलनाथ ने दी।

सीबीआइ डायरेक्टर रंजीत सिन्हा ने रिपोर्ट पेश कर दी। यह स्टेटस रिपोर्ट ही पीएमओ और कानून मंत्री के सामने रखी गई थी। हलफनामे में बताया गया है कि कोल आवंटन का यह स्टेटस रिपोर्ट कानून मंत्री की इच्छा पर उन्हें और पीएमओ के एक ज्वाइंट सेक्रेटरी के अधिकारी को दिखाया गया था।

ध्यान देने की बात है कि सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआइ निदेशक को हलफनामा दाखिल कर यह साफ करने को कहा था कि कोयला घोटाले की रिपोर्ट पेश करने से पहले सरकार को दिखाई गई या नहीं। उस समय एडिशनल सॉलिसिटर जनरल हरिन रावल ने अदालत के सामने रिपोर्ट को सरकार को नहीं दिखाने का दावा किया था। पर बाद में साफ हुआ कि कानून मंत्री और प्रधानमंत्री कार्यालय के अधिकारियों से हरी झंडी मिलने के बाद रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को दी गई थी। यही नहीं, उनके सुझावों के अनुसार रिपोर्ट में कुछ बदलाव भी किए गए थे।

जाहिर है कि सीबीआइ का हलफनामा अश्विनी कुमार के लिए बड़ी राहत हो सकता है। इस मामले में विपक्ष उनके इस्तीफे की मांग कर रहा है। सूत्रों के अनुसार, केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआइ)के निदेशक अदालत में दाखिल किये जाने वाले हलफनामे में यह भी साफ कर दिया कि कानूनी सलाह के लिए सीबीआइ पूरी तरह से कानून मंत्रालय पर निर्भर है और उसका पूरा अभियोजन विभाग इसी के मातहत आता है। ऐसे में अदालत को दी जानी वाली रिपोर्ट पर कानून मंत्री से सलाह लेना सामान्य प्रक्रिया का हिस्सा है और इसे दखलअंदाजी के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए, लेकिन जांच एजेंसी कानून मंत्रालय के सलाह को मानने के बाध्य नहीं है और अश्विनी कुमार के साथ बैठक के बाद भी एजेंसी ने रिपोर्ट में कोई अहम बदलाव नहीं किया है। इसे साबित करने के लिए सीबीआइ अश्विनी कुमार को दिखाने के पहले और बाद की अपनी रिपोर्ट भी हलफनामे के साथ पेश की।

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