लालच का जाल बिछा सुदीप्त बना शिकारी

sudeepta senकोलकाता। शिकारी आएगा जाल बिछाएगा, दाना डालेगा, लोभ में फंसना नहीं। परंतु, सारधा समूह के चेयरमैन सुदीप्त सेन ऐसा शिकारी था, जिसने लालच का ऐसा जाल बिछाया कि एक बाद एक कई राज्यों के लाखों लोग फंसते चले गए। सुदीप्त नेबड़ी चतुराई से पहले जाल ग्रामीण इलाकों में अपने कारिंदे के माध्यम से फैलाया। उन्हें लालच देकर आसानी से फंसाया जा सकता है।

वह बड़े ही शातिराना ढंग से अपनी कंपनी के लिए सुनियोजित तरीके से स्कीम पर स्कीम बनाता रहा। सर्वप्रथम सारधा समूह की ओर से 12, 15, 30 माह और पांच वर्षो के लिए रुपये लिए जाते थे। कंपनी की ओर से वादा किया जाता था कि यदि कोई 12 माह तक प्रतिमाह सौ रुपये जमा करता है तो उसे 13वें माह में 1308 रुपये वापस मिलेंगे। रिटर्न लेने की मियाद अधिक करने पर और अधिक ब्याज देने की बात कही जाती थी। निवेशकों में सबसे अधिक प्रचलित थी पांच वर्ष की जमा योजना। इस योजना में 60 माह तक सौ रुपये जमा करने पर 61वें माह में रिटर्न के रूप में नौ हजार रुपये देने का वादा किया जाता था।

सारधा समूह शुरुआती दौर में इन्हीं योजनाओं के तहत रुपये लेती थी। जैसे-जैसे लोगों से रुपये बटोरने की भूख बढ़ती गई वैसे-वैसे सुदीप्त स्कीम भी बदलता रहा। पिछले चार-पांच वर्षो से मंथली इनकम स्कीम (एमआइएस) शुरू की थी। एक लाख रुपये जमा करने पर दस वर्ष तक जमाकर्ता को दो हजार रुपये प्रतिमाह देने की बात कहता था। जमा राशि अधिक होने पर एमआइएस का ब्याज अधिक देने का भी वादा करता था। लोगों के बीच यह स्कीम काफी आकर्षक हो गई। एजेंटों का कहना है कि इस स्कीम से ही सुदीप्त ने सबसे अधिक रुपये बनाए हैं। इसमें तो लोगों ने जमीन, घर, गहना आदि गिरवी या फिर बेचकर अधिक से अधिक रुपये निवेश किए। सुदीप्त बीच-बीच के कुछ निवेशकों का पैसा लौटाकर दाना भी डालता गया और लोग फंसते चले गए।

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