‘ऐसा बर्ताव तो जानवर भी नहीं करते हैं

supreem courtनई दिल्ली। राजधानी में बच्ची से रेप के विरोध में प्रदर्शन कर रही लड़की को पुलिस अधिकारी के थप्पड़ मारने और अलीगढ़ में 65 वर्षीय वृद्धा की पुलिस द्वारा पिटाई पर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रुख अख्तियार किया है। कोर्ट ने दोनों घटनाओं पर खुद संज्ञान लेते हुए दिल्ली पुलिस आयुक्त और उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव से जवाब तलब किया है। साथ ही पुलिस के बर्बर और असंवेदनशील व्यवहार पर कड़ी टिप्पणियां भी कीं।

न्यायमूर्ति जीएस सिंघवी की अध्यक्षता वाली पीठ ने गुरुवार को पंजाब और बिहार में पुलिस बर्बरता के मामले की सुनवाई के दौरान दिल्ली व अलीगढ़ की घटनाओं का भी सांन लिया। पीठ ने दिल्ली पुलिस आयुक्त को निर्देश दिया है कि वह हलफनामा दाखिल कर बताएं कि प्रदर्शन कर रही लड़की को क्यों पीटा गया? अलीगढ़ में भी बच्ची से रेप के विरोध में प्रदर्शन के दौरान पुलिस अफसर द्वारा 65 साल की वृद्धा को पीटे जाने की घटना पर उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव से एक सप्ताह में हलफनामा मांगा गया है। अलीगढ़ की घटना का जिक्र करते हुए पीठ ने कहा, पुलिस ऐसे व्यवहार कर रही थी जैसे वह औरत उन्हें मारने आई हो। पुलिस की असंवेदनशीलता पर टिप्पणी करते हुए कोर्ट ने कहा, ‘हम सब मां के गर्भ से आते हैं। फिर महिलाओं के साथ ऐसा व्यवहार क्यों?’

कोर्ट ने घटना पर जवाब तलब करते हुए उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से एडिशनल एडवोकेट जनरल गौरव भाटिया से कहा, यह मत कहना कि दोषियों को निलंबित कर दिया गया है। आखिर समझ कहां चली गई? पीठ ने पूर्व प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री का जिक्र करते हुए कहा कि जब वे रेल मंत्री थे तो रेल दुर्घटना होने पर उन्होंने इस्तीफा दे दिया था। भाटिया ने कहा कि शास्त्रीजी ने नैतिकता का मापदंड बहुत ऊंचा कर दिया था। जिस पर जस्टिस सिंघवी की टिप्पणी थी कि इस दौर में कोई भी उस स्तर तक पहुंचने लायक नहीं है। सुनवाई के दौरान न्यायालय के मददगार वकील हरीश साल्वे ने उत्तर प्रदेश के एक मंत्री के हालिया बयान का जिक्र किया जिसमें मंत्री ने दरोगा की वर्दी उतरवाने की बात कही थी। पीठ ने इस पर कहा, जब इस तरह की सोच है तो कोर्ट का आदेश क्या कर सकता है। स्टेट सिक्योरिटी कमीशन गठित करने पर राज्यों से मांगा जवाब पुलिस बर्बरता से पुलिस सुधार तक पहुंचे मामले में सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस अधिकारियों की नियुक्ति, तबादले और पुलिस के कामकाज की देखरेख के लिए प्रस्तावित स्टेट सिक्योरिटी कमीशन के गठन की स्थिति पूछी है।

पीठ ने आदेश पर अमल न करने वाले छह राज्यों उत्तर प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र और गोवा को हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है। इन सभी राज्यों को अदालत में बताना है कि स्टेट सिक्योरिटी कमीशन गठित हुआ है कि नहीं और अगर आयोग गठित हुए हैं तो उनकी कितनी बैठकें हुई हैं? बैठकों का ब्योरा भी तलब किया गया है। इस मसले पर अगली सुनवाई 6 मई को होगी। दिल्ली में प्रदर्शनकारी लड़की को थप्पड़ मारने की घटना पर कोर्ट ने सख्त रूख अपनाया है।

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