अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के आव्हान पर देशभर के 22 राज्यों से आये हजारों पूर्व प्राथमिक से विश्वविद्यालय स्तर के शिक्षकों ने संगठन के अध्यक्ष डॉ. विमलप्रसाद अग्रवाल की अध्यक्षता मं जन्तर-मन्तर नई दिल्ली पर अपनी 15 मागों को लेकर धरना दिया। धरने को अनेक सांसदों ने धरना स्थल पर उपस्थित होकर अपना समर्थन प्रदान किया। इस अवसर पर भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता व सांसद प्रकाश जावडेकर ने कहा कि वर्तमान सरकार ने शिक्षा का ेअत्यनत दयनीय स्थिति मं पहुंचा दिया है।नियमित रूप से चयनित व पूर्ण वेतन प्राप्त शिक्षकों के स्थान पर संविदा शिक्षकों जो कि अतिअल्प वेतन पर काम करने को विवश है कि वाबजूद शिक्षकों के लाखों पद रिक्त पड़े हैं।दूसरी ओर सरकार की उपेक्षा तथा शिक्षा अधिकार अधिनियम के कठोर प्रावधानों के कारण एक लाख दस हजार विद्यालय बंद होने के कगार पर हैं। यह सरकार की दूरदर्षिता और शिक्षा के प्रति गम्भीर उपेक्षा को प्रकट करता है। इस अवसर पर लोकसभा सदस्य अर्जुन मेघवान ने शिक्षकों की 15 सूत्रीय मांग का समर्थन मं कहा कि वास्तव मं यह मांग पत्र शिक्षकों की समस्याओं का मांग पत्र नहीं है वरन् राष्ट्र व समाज के प्रति शिक्षकों की प्रतिवद्धृता का प्रमाण। इस अवसर पर अन्य सांसद जे.पी. नड्डा, श्रीपादनायक, हंसराज अहीर एवं अविनाशराम खन्नाने धरना स्थल पर उपस्थित होकर सम्मेलन किया।
धरने के दौरान ही महासंघ के प्रतिनिधि मंडल ने प्रधानमंत्री को ज्ञापन प्रस्तुत किया। धरने मे रूक्टा राष्ट्रीय की ओर से अध्यक्ष डॉ. मधुर मोहन रंगा सहित 90 प्राध्यापको ने भाग लिया ण् धरने के प्रारम्भ मं संगठन के महामंत्री प्रो. जगदीश प्रसाद सिंघल ने मांग पत्र मं सम्मिलित सभीमांगों कोविस्तारसे प्रस्तुत करते हए संगठन का दृष्टिकोण व्यक्त किया। मांगपत्र मं सम्मिलित 15 मांग निम्न प्रकार हैं।:
1. राष्ट्रीय अस्मिता, भारतीय जीवन मूल्यों, मानव एवं चरित्र निर्माण, सामाजिक सरोकार, मौलिक चिन्तन, शोध एवं नवाचारसे युक्त सम्पूर्ण शिक्षा पद्धति की पुनः संरचना की जाये।
2. शिक्षा व्यवस्था के नियोजन, नियमन एवंनियंत्रण के लिए केन्द्र तथा राज्य सरकारों द्वारा शिक्षाविदों से युक्त स्वतंत्र एवं स्वायत्त नियामक शिक्षा आयोग का निर्माण हो।
3. सकल घरेलू उत्पाद (जी.डी.पी.) का 15 प्रतिशत केन्द्र सरकार तथा राज्य अपने बजट का 30 प्रतिशत शिक्षा पर व्यय सुनिश्चित करे ताकि आधारभूत सुविधाएं जैसे शिक्षक, पुस्तकें, भवन, खेल के मैदान आदि उपलब्ध हो सकें।
4. सम्पूर्ण देश मं शिक्षा की स्वायत्तता को बहाल किया जाये एवं शिक्षा सम्बन्धी सभी निर्णयों मं शिक्षकों की सहभागिता सुनिश्चित की जाये तथा राजनीतिक एवं प्रशासनिक हस्तक्षेप बंद हो।
5. निःशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा के अधिकार के प्रावधानों को सुसंगत एवं व्यावहारिक बनाया जाये तथा उनकी पालना सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक संसाधन एवं सुविधाएं प्रदान की जाये।
6. प्राथमिकशिक्षा, मातृभाषा मं ही दी जाये।
7. देश के सभी महाविद्यालयों मं विभन्न शिक्षक पदों का नामकरण एक समान यू.जी.सी. की अनुशंसा के अनुरूप सहायक प्रोफेसर, ऐसोसियेट प्रोफेसर तथा प्रोफेसर के रूप मं किया जाये।
8. अनुदानित विद्यालयों एवं महाविद्यालयों मं शिक्षको को वेतन भुगतान की कोषागार भुगतान व्यवस्था हो।
9. शिक्षा के बाजारीकरण पर नियंत्रण सुनिश्चित हो।
10. सम्पूर्ण देश मं एक समान राष्ट्रीय वेतनमान नीति लागू की जाये और सम्पूर्ण देश मं समान सेवा शर्तें एवं अन्य सुविधाए प्रदान की जाये।
11. देश के सभी राज्यों एवं केन्द्र मं प्राथमिक, माध्यमिक, महाविद्यालय शिक्षकों के लाखों पद रिक्त हैं। सम्बन्धित सरकारें वेतनमानों के आर्थिक भार से बचने के उद्देश्य से विद्यार्थी मित्र, पैराटीचर, संविदा शिक्षक, अतिथि शिक्षक, प्रबोधक, शिक्षामित्र, अंशाकालीन शिक्षक आदि नामों से अस्थायी व्यवस्था कर रही है। शिक्षा मं गुणवक्ता लाने के लिए इस व्यवस्था को तुरन्त समाप्त किया जाये और इसके लिए शिक्षक-शिक्षार्थी अनुपात को सुधार कर 1ः30 किया जाये तथा सभी विषयों के अध्यापकों एवं प्राध्यापकों की नियमित एवं स्थायी नियुक्ति की जाये और शिक्षकों के प्रशिक्षण की सुद्रढ़ व्यवस्था हो।
12. सम्पूर्ण देश मं शिक्षकों की सेवानिवृत्ति आयु एक समान 65 वर्ष की जाये।
13. 1 जनवरी 2004 से पूर्व की पेंशन योजना सभी विद्यालयों, महाविद्यालयों एवं विश्वविद्यालयों मं बहाल की जाये।
14. सभी विद्यालयों, महाविद्यालयों एवं विश्वविद्यालयों के शिक्षकों को समुचित चिकित्सा सुविधा के लिए निःशुल्क स्वास्थ्य कार्ड की सुविधा प्रदत्त की जाये एवं उसका प्रभावी क्रियान्वयन हो।
15. विद्यार्थीमित्र, पैराटीचर, संविदा शिक्षक, अतिथि शिक्षक, प्राबोधक, शिक्षामित्र, अंशकालिक शिक्षक, शिक्षाकर्मी आदि नामों से कार्य करने वाले शिक्षकों को न्यूनतम वेतन एवं सेवा शतों का अविलम्ब निर्धारण कर उनका पालन सुनिश्चित किया जाये।
डा एम एम रंगा, अध्यक्ष, 9414008425
डा नारायण लाल गुप्ता, महामंत्री, 9414497042