सारधा घोटाले की आंच में झुलसा बुलंदशहर

bulandshahr, sudipta sen, saradha group, investorsबुलंदशहर, । सारधा ग्रुप चिट फंड घोटाले की आंच बुलंदशहर तक पहुंच गई है। इससे यहां काम करने वाले दर्जनों लोगों की गाढ़ी कमाई तबाह हुई है। घोटाले ने इन्हें अंदर से हिला दिया है। चाय की दुकान चलाने वाला एक निवेशक सदमा नहीं झेल पाया और अस्पताल में जिंदगी-मौत से संघर्ष कर रहा है।

पश्चिम बंगाल से लेकर केंद्र की राजनीति में भूचाल लाने वाले करीब 17 हजार करोड़ रुपये के सारधा घोटाले में यहां के दर्जनों लोगों की गाढ़ी कमाई लुटी है। ये लोग पश्चिम बंगाल के मूल निवासी हैं और यहां मेहनत-मजदूरी कर परिवार चला रहे हैं। कोई बेटी की शादी, कोई बच्चे के पढ़ाई और तो कोई छोटा-सा घर बनाने की आस में सारधा में निवेश कर रहा था। कम समय में अच्छे रिटर्न के लालच ने उन्हें बर्बाद कर दिया। इतना गहरा आघात लगा है कि कई ठीक से खा-पी नहीं रहे हैं। पूरा परिवार गम के साये में है।

नगर के ज्ञानलोक कॉलोनी के गेट पर चाय की दुकान चलाने वाले फूल बाबू का पांच लाख रुपया डूब गया। उन्हें घोटाले की सूचना टीवी से मिली। पूरे परिवार का दिल घबराने लगा। वह दुकान बंद कर पत्नी ज्योत्सना के संग पांच दिन पहले आनन-फानन में पैत्रिक गांव कुमारगंज (पश्चिम बंगाल) निकल गए। रिश्तेदार व चाय की दुकान चलाने वाले नवीन ने बताया कि फूलबाबू पूरे जिंदगी की गाढ़ी कमाई डूबने का सदमा झेल नहीं पाए और गुरुवार से अस्पताल में भर्ती हैं।

फूलबाबू दो दशक पहले रोजगार की तलाश में बुलंदशहर आए थे। शुरू में रिक्शा चलाया। कुछ पूंजी इकट्ठी हुई तो ज्ञानलोक कॉलोनी के गेट पर चाय की दुकान खोल ली। पत्नी ज्योत्सना घरों में चौका-बर्तन करके 1500-2000 रुपये कमा रही थी। फूलबाबू अपने बेटे विश्वजीत को ‘बड़ा आदमी’ बनाना चाहते थे। बेटे की अच्छी शिक्षा और बेटी की शादी के लिए धन जमा कर रहे थे। नवीन ने बताया कि एक रिश्तेदार के कहने पर सभी बैंकों से पैसा निकाल कर सारधा में फिक्स डिपोजिट कर दिया और मासिक बचत भी जमा कर रहे थे।

चाय की दुकान चलाने वाले नवीन का 12,000 रुपया डूबा है। बताता है कि वह पांच वर्ष पहले रोजगार के सिलसिले में आया था। पश्चिम बंगाल के मालदा टाउन निवासी मिथुन का करीब 25 हजार, मोटर मैकेनिक पश्चिम बंगाल निवासी सुभाष व उनके भतीजे सौंबरू का करीब 35 हजार रुपया डूब गया है। ऐसे दर्जनों लोग हैं जिनकी पीर पर्वत-सी है। रोजाना सुबह-सुबह अखबार पर टूटते हैं। सारधा ग्रुप की खबरें खोजते हैं। उसमें जबाव टटोलते हैं कि पश्चिम बंगाल सरकार उनका धन निकलवाने के लिए क्या उपाय कर रही है।

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