सोच में पड़े डॉक्टर, क्या होगा इस ‘गुड़िया’ का भविष्य

badarpur rape case dfdsfनई दिल्ली। एम्स ट्रॉमा सेंटर में भर्ती बदरपुर रेप कांड की पीड़ित दूसरी गुड़िया (परिवर्तित नाम) अस्पताल में जिंदगी और मौत के बीच झूल रही है। ट्रॉमा सेंटर में तीन घंटे की सर्जरी के बाद वह बोल पाने की स्थिति में है। बावजूद इसके डॉक्टरों का कहना है कि उसकी हालत गंभीर है।

इसकी चोट भी गांधीनगर गैंगरेप की शिकार पांच साल की गुड़िया जैसी है। हालांकि गांधीनगर की गुड़िया की हालत स्थिर है। पर एम्स के डॉक्टर भी यह सोचकर चिंतित हैं कि दोनों बच्चियों का भविष्य क्या होगा। एम्स के प्रवक्ता डॉ. वाईके गुप्ता ने कहा कि अस्पताल के इमरजेंसी में पीडियाट्रिक विभाग में नौ दिन से भर्ती गांधीनगर की गुड़िया की हालत ठीक है। एम्स में अब तक उसकी दूसरी सर्जरी नहीं की गई है। फिलहाल वह खा-पी रही है।

गौरतलब है कि रेप की घटना में पीड़िता का आंतरिक अंग क्षतिग्रस्त हो गया है। इसके चलते सर्जरी कर शौच के लिए कृत्रिम जगह बनाई गई है। गुड़िया के चाचा ने बताया कि उसे हल्का बुखार है और खाना भी नहीं दिया जा रहा है। सिर्फ दूध पी रही है। वह काफी डरी-सहमी लग रही है। इधर, शुक्रवार शाम को एम्स ट्रॉमा सेंटर में बदरपुर रेप कांड की पीड़ित छह वर्षीय बच्ची को भर्ती कराया गया है।

अस्पताल के डॉक्टर विपल्व मिश्रा ने हेल्थ बुलेटिन जारी कर बताया कि पीड़िता के आंतरिक अंग क्षतिग्रस्त हो चुके हैं। गले पर चाकू जैसे धारदार हथियार से वार किया गया है। इससे गला दो जगहों पर कटा हुआ था। जिसकी स्टिचिंग की गई है। इसके अलावा शुक्रवार रात तीन घंटे की सर्जरी (क्लोस्टोमी प्रोसीजर) कर मल पास होने के लिए कृत्रिम जगह बना दी गई है। डॉक्टरों का कहना है कि उसे आइसीयू में रखा गया है। वह हल्का बोल रही है। पर वह काफी डरी हुई है और उसे गहरा सदमा लगा है। डॉक्टरों का कहना है कि फिलहाल यह कहना मुश्किल है कि आगे उसकी हालत कैसी रहेगी। इसलिए डॉक्टर उस पर लगातार नजर रख रहे हैं।

पीड़िता के साथ शारीरिक संबंध बनाया गया है या नहीं डॉक्टरों ने अभी स्पष्ट नहीं किया है, पर यौन शोषण की पुष्टि की है। सैंपल जांच के लिए भेजा गया है।

आंतरिक अंगों की रिकंस्ट्रक्टिव सर्जरी नहीं आसान

एम्स के एक डॉक्टर ने बताया कि आंतरिक अंगों की रिकंस्ट्रक्टिव सर्जरी आसान नहीं होगी। हालांकि, इस दिशा में मेडिकल साइंस ने काफी तरक्की कर ली है। दोनों मामलों में ही पीड़िताओं का आंतरिक अंग क्षतिग्रस्त हो गया है। जिसकी वजह से मामला थोड़ा अलग है। रिकंस्ट्रक्टिव सर्जरी का सौ फीसदी सफल होना आसान नहीं है।

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