बॉलीवुड-आइपीएल के सहारे चिट फंड कंपनियों ने हासिल की शोहरत

chit fund, chit fund companies, bollywood, IPLकोलकाता। बंगाल की चिट फंड कंपनियों ने आम लोगों तक पहुंचने के लिए बॉलीवुड अभिनेता व आइपीएल का भी खूब इस्तेमाल किया। अपने विज्ञापनों के एवज में सितारों पर मोटी रकम खर्च की।

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रोज वैली नामक कंपनी आइपीएल फ्रेंचाइजी कोलकाता नाइट राइ‌र्ड्स (केकेआर) की मुख्य प्रायोजक है। केकेआर के सह मालिक शाहरुख खान हैं। इस कंपनी से केकेआर को प्रायोजक के तौर पर सालाना 5.5 करोड़ रुपये मिलते हैं। शाहरुख प्रयाग समूह के फिल्म सिटी के ब्रांड एंबेस्डर भी हैं। अभिनेत्री सोहा अली खान व उनकी मां शर्मिला टैगोर प्रयाग समूह के एक बिस्कुट ब्रांड का विज्ञापन करती हैं।

कंसल्टेंट के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हरीश बिजोर का कहना है कि चिट फंड कंपनियों का मुख्य उद्देश्य ऐसे सितारों के माध्यम से प्रसिद्धि हासिल करना है। सारधा समूह केमालिक सुदीप्त सेन के सीबीआइ को दिए गए 18 पेज के पत्र के अनुसार मिथुन चक्रवर्ती समूह के विभिन्न प्रचार-प्रसार से जुड़ी गतिविधियों में शामिल थे। इसके लिए उन्हें महीने में 20 लाख रुपये दिए जाते थे। अभिनेत्री व तृणमूल सांसद शताब्दी राय का भी नाम सारधा के प्रचार-प्रसार से जोड़ा जा रहा है।

सूत्रों के अनुसार बांग्ला फिल्म उद्योग की 30 प्रतिशत फिल्में चिट फंड कंपनियों द्वारा ही निर्मित होती हैं

फुटबॉल क्लबों पर सुदीप्त ने लुटाए थे करोड़ों

बंगाल की जनता के अरबों रुपये हड़पने वाले सारधा गु्रप ने फुटबॉल में करोड़ों रुपये लुटाए थे। जांच में यह बात सामने आई है। सारधा गु्रप के चेयरमैन सुदीप्त सेन ने महानगर के दो प्रमुख फुटबॉल क्लब ईस्ट बंगाल व मोहनबागान को करोड़ों रुपये की स्पांसरशिप दी थी।

सूत्रों के मुताबिक मोहनबगान को 2010-11 में 1.8 करोड़ रुपये जबकि ईस्ट बंगाल को 2010 में 3.5 करोड़ रुपये दिए गए थे। ईस्ट बंगाल की तरफ से सुदीप्त को क्लब की आजीवन सदस्यता भी प्रदान की गई थी। मोहनबागान के अधिकारी देवाशीष दत्ता ने कहा कि फुटबॉल के लिए ये बड़ा धक्का है, बजट कम हो जाएगा। इससे छोटे क्लब सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे।

बताया जाता है कि एक और चिट फंड कंपनी रोजवैली ईस्ट बंगाल क्लब से जुड़ी है। सेबी इस कंपनी की जांच कर रही है। इसी तरफ वित्तीय योजनाएं चलाने वाला प्रयाग गु्रप युनाइटेड स्पोर्ट्स नामक फुटबॉल क्लब को स्पांसर करता है। खबर है कि कंपनी मामलों के मंत्रालय को प्रयाग गु्रप के खिलाफ कई शिकायतें मिली हैं जिसकी जांच की जा रही है।

बाजार पर नजर रखने वालों के मुताबिक चिट फंड कंपनियां फुटबॉल क्लबों के जरिये तेजी से लोगों से जुड़ जाती हैं। कारण, बंगाल में फुटबॉल से लोगों का भावनात्मक लगाव है। इसे उन्होंने अपनी विपणन रणनीति बना ली है।

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