नई दिल्ली। संप्रग सरकार को घोटालों की सरकार कहा जा रहा है। 2जी से लेकर घोटालों की लंबी सूची में देश को करीब 6.25 लाख करोड़ का नुकसान हुआ। इसके अलावा आदर्श घोटाले और सीवीसी की नियुक्ति में भी सरकार को शर्मसार होना पड़ा :
2 जी स्पेक्ट्रम (1.76 लाख करोड़ रुपये का घोटाला):
-2008 में जारी कैग की रिपोर्ट के अनुसार तत्कालीन टेलीकॉम मंत्री ए राजा के मनमाने रवैये और नीतियों के चलते 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन से देश को 1.76 लाख करोड़ का घाटा हुआ। 2001 की पुरानी कीमतों के आधार पर आवंटन किए गए। बोली प्रक्रिया की जगह ‘पहले आओ पहले पाओ’ नीति पर अमल किया गया। बेचे गए 122 लाइसेंस में से 85 लाइसेंस उन कंपनियों को दिए गए जो पात्रता शर्ते भी नहीं पूरी करती थीं। नतीजतन दूरसंचार मंत्री ए राजा को इस्तीफा देना और 15 महीने जेल में रहना पड़ा।
राष्ट्रमंडल खेल (70,000 करोड़ रुपये का घोटाला):
-2010 में हुए राष्ट्रमंडल खेलों के दौरान कई प्रोजेक्टों में धांधली पाई गई। इसमें करीब 70 हजार करोड़ रुपये के घोटाले की बात सामने आई। मनमाने तरीके से ऊंचे दामों पर सामानों को खरीदा गया। कई ऐसी कंपनियों को भुगतान किया गया, जो अस्तित्व में ही नहीं थीं। पूरी दुनिया में भारत को इस खेल आयोजन में हुई गड़बड़ियों के चलते हंसी का पात्र बनना पड़ा। मामले के तूल पकड़ने पर कांग्रेसी नेता और राष्ट्रमंडल आयोजन समिति के अध्यक्ष सुरेश कलमाड़ी को अपने पद से इस्तीफा देकर जेल जाना पड़ा।
एस-बैंड स्पेक्ट्रम:
-एंटरिक्स कार्पोरेशन लिमिटेड और देवास मल्टीमीडिया प्राइवेट लिमिटेड के बीच समझौता हुआ। कैग की रिपोर्ट के मुताबिक, इससे सरकारी खजाने को करीब दो लाख करोड़ रुपये का नुकसान हो सकता है। इसरो अंतरिक्ष विभाग के अंतर्गत आता है जो प्रधानमंत्री के अधीन है, लेकिन बलि का बकरा इसरो के चेयरमैन को बनाया गया।
एयरसेल-मैक्सिम समझौता:
-2006 में दूरसंचार मंत्री रहते हुए दयानिधि मारन ने चेन्नई की टेलीकॉम कंपनी एयरसेल के प्रमोटर पर दबाव डाला कि वह अपनी फर्म मलेशियाई कंपनी मैक्सिस को बेच दें। मामला उजागर होने पर 2011 में उनको कपड़ा मंत्री के पद से इस्तीफा देना पड़ा। पिछले साल सीबीआइ ने इस मसले पर उनसे पूछताछ भी की।