कोलगेट: कानून मंत्री अश्विनी कुमार पर गाज गिरना तय

ashwani kumarनई दिल्ली। कोयले की आग में अब आहुतियों की शुरुआत हो गई है। एडीशनल सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) हरिन रावल ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। अब सुप्रीम कोर्ट के कड़े रुख के बाद कानून मंत्री अश्रि्वनी कुमार का बचना भी मुश्किल है। प्रधानमंत्री के खुलकर अश्रि्वनी कुमार के पीछे खड़े होने के बावजूद कांग्रेस कोर कमेटी ने साफ कर दिया है कि उन्हें जाना होगा। बस इंतजार वक्त का है। पार्टी का एक खेमा कर्नाटक चुनाव के बाद उनकी विदाई के पक्ष में है, जबकि कई नेता अब इस फैसले में देरी पर नुकसान देख रहे हैं।

कांग्रेस नेतृत्व का यह रुख देखने के बाद ही प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि वह सुप्रीम कोर्ट के आदेश का अध्ययन कर रहे हैं, उसके बाद उचित फैसला किया जाएगा। सूत्रों के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट में 6 मई को सीबीआइ निदेशक के हलफनामे और 8 मई को कोयला घोटाले में सुनवाई से उपजे हालात के अनुरूप ही प्रधानमंत्री कोई अंतिम फैसला लेने के मूड में हैं।

दरअसल, इस पूरे प्रकरण से जिस तरह कानून मंत्रालय और सरकार निपटी उस पर कांग्रेस नेतृत्व पहले ही अपना असंतोष जता चुका है। कांग्रेस में अश्रि्वनी कुमार के प्रति पहले भी कोई सहानुभूति नहीं थी, लेकिन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का शुरू से उन पर वरदहस्त रहा है। अश्रि्वनी कुमार के बाद बात प्रधानमंत्री तक पहुंचेगी, इसलिए सरकार और पार्टी उनके बचाव में अभी तक रही। सुप्रीम कोर्ट के तेवर देखने के बाद सोनिया के राजनीतिक सचिव अहमद पटेल ने तुरंत प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से पहले अकेले मुलाकात की। फिर संसद परिसर में प्रधानमंत्री के कक्ष में कोर कमेटी की बैठक हुई। सूत्रों के मुताबिक, उसमें ही साफ कह दिया गया कि अब बचाव उचित नहीं है। इसके बाद अश्रि्वनी कुमार भी कई फाइलों के साथ प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से मिलने पहुंचे।

बैठक के बाद कांग्रेस महासचिव व मीडिया विभाग के चेयरमैन जनार्दन द्विवेदी ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के प्रति सम्मान जताकर साफ कर दिया कि पार्टी अश्रि्वनी कुमार के साथ नहीं खड़ी होगी। इसके बाद देर शाम कांग्रेस कोर कमेटी की बैठक में भी इस मुद्दे पर खास तौर से चर्चा हुई। सोनिया, मनमोहन, अहमद पटेल, एके एंटनी और पी चिदंबरम की मौजूदगी में करीब दो घंटे बैठक चली। इसमें चीन के दुस्साहस और सज्जन कुमार के बरी होने के बाद राजनीतिक परिदृश्य जैसे मसलों पर भी चर्चा हुई।

सूत्रों के मुताबिक, चौतरफा सरकार की साख पर लग रहे दाग चिंता का प्रमुख विषय रहे। अश्रि्वनी कुमार के इस्तीफे पर राय यह थी कि 6 मई का हलफनामा देख लिया जाए। तब तक कर्नाटक के चुनाव भी हो जाएंगे। अभी इस्तीफे से विपक्ष को वहां इस मुद्दे को तूल देने का ज्यादा मौका मिलेगा।

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