नई दिल्ली । महेश कुमार चंद दिन पहले जब पश्चिम रेलवे के महाप्रबंधक से रेलवे बोर्ड के सदस्य (स्टाफ-एचआर) बने थे, तो उनके मातहत अफसरों ने इसे उनकी उपलब्धि बताते हुए मीडिया के लिए उनकी फोटो भी जारी की थी। बाद में जब वह रेल मंत्री पवन बंसल के भांजे को 90 लाख रुपये की रिश्वत पहुंचाने के आरोप में पकड़े गए तो उन्हें अपना चेहरा छिपाने में खासी मशक्कत करनी पड़ी। टीवी कैमरों के हुजूम के बीच उन्होंने एक रुमाल के सहारे खुद का चेहरा छिपाने की तमाम कोशिश की, लेकिन नाकाम रहे।
महेश कुमार ने 1975 में रुड़की से इलेक्ट्रानिक्स एंड कम्यूनिकेशंस इंजीनियरिंग में डिग्री हासिल की थी। उसी साल उन्होंने रेलवे में सिग्नल इंजीनियर्स सेवा ज्वाइन की। माना जाता है कि उन्हें तकनीकी, परियोजना और प्रशासन संबंधी गहरा अनुभव है। उनका नाम गिनीज बुक आफ वर्ल्ड रिकार्ड में भी दर्ज है, क्योंकि उन्होंने महज 36 घंटे के भीतर पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन में दुनिया की सबसे बड़ी रूट रिले इंटरलाकिंग प्रणाली स्थापित की थी। उन्हें दोहरीकरण परियोजना को रिकार्ड समय में पूरा करने, कोहरे के समय काम आने वाली आटोमैटिक सिग्नलिंग स्थापित करने और रेलवे की लोकप्रिय 139 पूछताछ सेवा प्रारंभ करने का श्रेय भी जाता है। इनके अलावा मुंबई में पश्चिम रेलवे के जीएम के तौर पर उन्होंने चर्चगेट व विरार के बीच 1500 वोल्ट डीसी लाइन को 25 हजार वोल्ट एसी लाइन में बदलने व उसे दहानू रोड तक बढ़ाने का काम कराया।