अमृतसर। सरबजीत सिंह की चिता ठंडी हो चुकी है, लेकिन उनके परिजनों की पेट की ज्वाला बुझाकर सहानुभूति बटोरने में पंजाब और केंद्र सरकार के बीच शह-मात का खेल शुरू हो गया है। केंद्र परिजनों को गैस एजेंसी या पेट्रोल पंप देने पर मुहर लगाने की तैयारी में है, जबकि प्रदेश सरकार ने भी दो परिजनों को नौकरी देने का प्रस्ताव रखा है। परिजन असमंजस में हैं कि वह चुनें तो क्या?
अगर वह गैस एजेंसी या पेट्रोल पंप के मालिक बनते हैं तो उन्हें सरकारी नौकरी के मोह का त्याग करना होगा। दरअसल, बेरोजगार होने के आधार पर ही सरबजीत के परिजनों को यह सहूलियत मिलेगी। इसलिए दोनों प्रस्तावों में उन्हें केवल एक ही स्वीकार करना होगा केंद्रीय अनुसूचित जाति आयोग के उपाध्यक्ष डॉ. राजकुमार ने जागरण को बताया कि गृह मंत्री सुशील शिंदे की ओर से बकायदा पेट्रोलियम मंत्रालय को इस बारे में चिट्ठी भी लिखकर भेज दी गई है। बकौल राजकुमार, सरबजीत के परिवार वालों को दोनों विकल्पों में एक का ही चयन करना होगा। पारिवारिक सूत्रों की मानें तो सरबजीत के परिजनों की पहले नौकरी मिलने के बाद भी हालात नहीं बदले। उनकी पत्नी सुखप्रीत कौर गुरु अंगद देव विश्वविद्यालय में काम कर रही हैं, जहां उनका वेतन महज छह हजार रुपये है।