चंडीगढ़। एबीवीपी के कार्यकर्ताओं ने रविवार को रेल मंत्री पवन कुमार बंसल के घर पर जमकर हंगामा किया। कार्यकर्ताओं को खदेड़ने के लिए पुलिस को लाठी चार्ज करना पड़ा। बताया जा रहा है कि एबीवीपी कार्यकर्ताओं ने पुलिस वालों से हाथापाई की जिसके बाद पुलिस को बल प्रयोग करना पड़ा। शनिवार को भी भाजपा कार्यकर्ताओं ने बंसल के घर पर हंगामा किया था। उन्होंने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का पुतला भी फूंका।
करोड़ों की रिश्वत देकर रेलवे बोर्ड का सदस्य बनाए जाने के मामले में रेल मंत्री पवन कुमार बंसल भले ही भांजे विजय सिंगला से अपने संबंधों को नकार रहे हों, लेकिन उनके लिए सीबीआइ के सवालों का जवाब देना मुश्किल हो सकता है। छापे के दौरान जब्त दस्तावेजों और गिरफ्तार आरोपियों से जो कुछ जानकारी मिली है, उससे जांच का दायरा बड़ा हो गया है।
महेश कुमार को रेलवे बोर्ड का सदस्य (स्टाफ) बनाने के साथ-साथ टेलीकम्युनिकेशन और सिग्नलिंग का अतिरिक्त प्रभार देने का सौदा भी हुआ था। जीएम पश्चिम रेलवे का प्रभार भी उन्हीं के पास है। रेलमंत्री बंसल से सीबीआइ इस खास मेहरबानी की वजह जरूर जानना चाहेगी। जांच एजेंसी ने एफआइआर में स्पष्ट रूप से कहा है कि ये सारे पद महेश कुमार को एक साजिश के तहत दिए जाने थे, जिसके लिए दो करोड़ रुपये का सौदा हुआ था। सूत्रों के मुताबिक सीबीआइ को इसकी भनक लग चुकी थी, जिसके आधार पर महेश कुमार और सिंगला के टेलीफोन से होने वाली बातचीत जहां सुनी जा रही थी, वहीं मोबाइल फोन के जरिये उनकी लोकेशन पर लगातार नजर रखी जा रही थी। जिन लोगों पर संदेह था, उन्हें सर्विलांस पर रखा गया था। लेकिन उन्हें गिरफ्तार करने के लिए रिश्वत देने का इंतजार किया जा रहा था।
आरोपियों की रिमांड मांगते हुए पटियाला हाऊस अदालत में सीबीआइ ने दलील भी दी है कि उसे 90 लाख रुपये की रिश्वत का अंतत: लाभ लेने वाले का पता करना है। इसकी जांच के लिए इन अभियुक्तों से पूछताछ करना जरूरी है। जांच एजेंसी ने यह कहकर बंसल की मुश्किलें बढ़ाने के संकेत दे दिए हैं।
सीबीआइ का कहना है कि महेश कुमार को बोर्ड सदस्य (इलेक्ट्रिकल) बनाने के लिए दस करोड़ में सौदा हुआ था। सौदे के तहत महेश कुमार ने मांग रखी थी कि जब तक उन्हें सदस्य इलेक्ट्रिकल नहीं बनाया जाता, तब तक उन्हें टेलीकम्यूनिकेशन और सिग्नलिंग का अतिरिक्त प्रभार भी दिया जाए। इसके लिए दो करोड़ रुपये देने पर महेश कुमार ने हामी भरी थी। बाकी पैसे सदस्य (इलेक्ट्रिकल) बनने के बाद देने थे।