नई दिल्ली। सीबीआइ ने कोयला घोटाला मामले में स्टेटस रिपोर्ट में बदलाव की बात स्वीकार कर ली है। उसने कहा है कि पीएमओ और कानून मंत्रालय के कहने पर बदलाव किए गए थे।
सीबीआइ ने सोमवार को स्टेटस रिपोर्ट में बदलाव पर नौ पन्ने के अपने हलफनामे में कहा है कि पीएमओ और कोयला मंत्रालय के अधिकारियों एवं कानून मंत्री अश्विनी कुमार द्वारा रिपोर्ट देखने के बाद इसमें बदलाव किए गए। नौ पृष्ठ के शपथपत्र में सीबीआई ने साफ कहा कि कानून मंत्री ने आवंटन से जुड़े पैरा को पूरी तरह हटा दिया था, जबकि कोयला विवाद में सबसे ज्यादा सवाल आवंटन पर ही उठे हैं। सीबीआई द्वारा हलफनामा पेश किए जाने के बाद कानूनमंत्री अश्रि्वनी कुमार ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से मुलाकात की है। उन्होंने इस हलफनामे पर प्रधानमंत्री के समक्ष सफाई दी है।
सीबीआइ ने कहा कि रिपोर्ट में बदलाव पर तीन बैठकें हुई। जांच एजेंसी ने कहा कि बैठक के दौरान पूर्व अटॉर्नी जनरल जीई वाहनती और अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल हरिन रावल भी मौजूद थे। ये बैठकें कानून मंत्री के दफ्तर, पूर्व अटॉर्नी जनरल एवं सीबीआइ के संयुक्त निदेशक के दफ्तर में हुई। उसने कहा कि कानून मंत्री एवं अटॉर्नी जनरल के कहने पर रिपोर्ट में तीन बदलाव किए गए। सीबीआइ निदेशक रंजीत सिन्हा ने इसके लिए सुप्रीम कोर्ट से माफी मांगी। सिन्हा ने कहा कि रिपोर्ट से जांच में कोई असर नहीं पड़ेगा। सीबीआइ पूरी निष्पक्षता से जांच करेगी। हलफनामा दाखिल होने के बाद अब कोर्ट 8 मई को केस की सुनवाई करेगी। कोयला घोटाले पर सीबीआइ ने यह दूसरा हलफनामा दाखिल किया है।
कोयला घोटाले में जांच रिपोर्ट को सरकार से साझा करने पर मचे बवाल के बाद सीबीआई की भूमिका कठघरे में है। सीबीआइ का दावा है कि जांच पहले से ही पारदर्शी रही है और कोयला घोटाले से जुड़े हर आरोपी के खिलाफ कार्रवाई होगी।
इससे पहले 12 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआइ निदेशक को हलफनामा दाखिल कर यह बताने को कहा था कि क्या कोयला घोटाले की रिपोर्ट किसी से साझा की गई थी या नहीं। इस पर 26 अप्रैल को सिन्हा ने हलफनामा दाखिल कर यह माना था कि स्टेटस रिपोर्ट को कानून मंत्रालय, पीएमओ और कोयला मंत्रालय को दिखाई गई थी।
इसके बाद से विपक्ष कानून मंत्री अश्रि्वनी कुमार के इस्तीफे की मांग कर रहा है। इस मुद्दे पर संसद में भी जमकर हंगामा हो रहा है। अब अगली सुनवाई में कानून मंत्री के भाग्य का फैसला होगा।
उधर, सीबीआइ हलफनामे के बाद भाजपा के नेता शहनवाज हुसैन ने कहा है कि अश्विनी कुमार को तुरंत इस्तीफा दे देना चाहिए। वहीं सीपीएम नेता सीताराम येचुरी ने कहा है कि कानून मंत्री को पद पर बने रहने का हक नहीं है।