नई दिल्ली। रेल में घूसकांड पर आज संसद में जमकर हंगामा मचा है। विपक्ष प्रधानमंत्री, रेलमंत्री और कानून मंत्री के इस्तीफे की मांग पर अड़ा है। विपक्ष के हंगामे की वजह संसद के दोनों सदन को स्थगित करना पड़ा। लोकसभा और राज्यसभा दोनों स्थगित हो गया। भाजपा रेल मंत्री पवन कुमार बंसल के इस्तीफे पर अड़ी हुई है। विपक्षी के साथ-साथ अब सरकार के सहयोगी भी सरकार को बंसल के मुद्दे पर टेढ़ी नजर दिखा रहे हैं। समाजवादी पार्टी ने भी पवन बंसल के इस्तीफे की मांग की है। सपा नेता रामगोपाल यादव ने कहा कि इस तरह के आरोप गंभीर हैं, पवन बंसल को खुद इस्तीफा देना चाहिए। सपा नेता ने यह भी आरोप जड़ा है कि अगर रेल मंत्री किसी दूसरे पार्टी के होते तो अब तक कार्रवाई कर दी जाती। उधर कांग्रेस ने भी साफ कर दिया है कि रेल मंत्री इस्तीफा नहीं देंगे।
तस्वीरों में देखें: यूपीए सरकार के लिए मुसीबत बनते मंत्री
चौतरफा दबाव और चीख-पुकार के बीच कांग्रेस कोर कमेटी ने तय किया है कि पार्टी न तो रेल मंत्री पवन कुमार बंसल का इस्तीफा लेगी और न ही कानून मंत्री अश्विनी कुमार का। कर्नाटक चुनाव से मिले सकारात्मक संकेतों के बाद हुई कांग्रेस कोर कमेटी की बैठक में यह फैसला लिया गया। सूचना व प्रसारण राज्यमंत्री मनीष तिवारी ने कहा कि अश्विनी कुमार का मामला कोर्ट में है, जबकि बंसल के मामले की जांच चल रही है। ऐसे में दोनों मंत्रियों के इस्तीफे का सवाल ही पैदा नहीं होता। हालांकि, पार्टी ने यह भी संकेत दिया है कि अगर भाजपा कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी व राहुल गांधी की प्रतिष्ठा के प्रश्न बने खाद्य सुरक्षा और भूमि अधिग्रहण विधेयकों को पारित कराने के लिए संसद चलने देने के लिए राजी हुई तो संप्रग अपने दो मंत्री कुर्बान करेगा।
यह एक तरह से इस बात की भी गारंटी होगी कि अब विपक्ष कोयला घोटाले में पीएम के इस्तीफे की मांग से पीछे हटेगा। प्रबल संकेत है कि अगर विपक्ष अड़ा रहा तो कांग्रेस बंसल का आखिर तक बचाव करेगी, वहीं अश्विनी कुमार फिलहाल पार्टी में अलग-थलग हैं।
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के निवास पर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की मौजूदगी में हुई कांग्रेस कोर कमेटी की बैठक में इन दोनों मुद्दों पर लंबी चर्चा हुई। एके एंटनी, अहमद पटेल, पी. चिदंबरम और सुशील कुमार शिंदे की मौजूदगी में रेलवे घूसकांड में फंसे रेल मंत्री पवन बंसल और कोयला घोटाले में सीबीआइ की जांच रिपोर्ट में बदलाव कराने के आरोपी कानून मंत्री अश्विनी कुमार के भविष्य पर चर्चा हुई। सूत्रों के मुताबिक, बैठक में बंसल के प्रति ज्यादातर नेताओं में हमदर्दी थी।
पार्टी ने उन्हें हटाने और बनाए रखने के नफा-नुकसान के हर पहलू पर चर्चा की। कोर कमेटी ने तय किया कि पवन बंसल का पार्टी खुलकर बचाव करती रहेगी। हालांकि, अश्विनी कुमार को प्रधानमंत्री के अलावा कोई खैरख्वाह नहीं मिला। खास बात है कि पवन बंसल और अश्विनी कुमार का कद प्रधानमंत्री ने ही बढ़ाया। अश्विनी कुमार के मुद्दे पर मामला शीर्ष अदालत की टिप्पणी पर छोड़ा गया। एक टिप्पणी थी, विपक्ष से मोर्चा लिया जा सकता है, लेकिन अदालत से नहीं। हालांकि, पवन बंसल के फंसने से इतना जरूर हुआ कि पार्टी अश्विनी कुमार के मसले पर आखिर में फैसला करेगी।
सूत्रों के मुताबिक, भ्रष्टाचार के मुद्दे पर अपनी कमजोरी को भुनाने से कांग्रेस नहीं चूकेगी। कांग्रेस मान रही है कि धारणा की लड़ाई में उसे नुकसान हो रहा है। इसीलिए, इन दोनों मंत्रियों को हटाकर अगर उसे संसद चलाने में राहत मिलती है तो वह दोनों को शहीद कर सकती है। इसके लिए भाजपा को सदन चलाने का आश्वासन देना होगा। जाहिर तौर पर अगर कांग्रेस भाजपा को सदन चलाने पर राजी कर लेती है, तो उसके अहम विधेयक पारित होने के साथ ही प्रधानमंत्री के खिलाफ उठ रही आवाजें भी क्षीण हो जाएंगी। इसके अलावा कांग्रेस भ्रष्टाचार के आरोपों को धोने के लिए देश के सभी राज्यों में अपने मंत्रियों और वरिष्ठ नेताओं की फौज भी उतारेगी।