कोलगेट: अश्विनी कुमार की किस्मत तय करेगी सुप्रीम कोर्ट

Ashwani kumar with suprem courtनई दिल्ली। कोयला घोटाले में सीबीआइ की स्टेटस रिपोर्ट बदलवाने को लेकर कटघरे में खड़े केंद्रीय कानून मंत्री अश्रि्वनी कुमार की किस्मत का फैसला बुधवार को होगा। सीबीआइ द्वारा दाखिल हलफनामे पर आज बहस होगी, इस लिहाज आज की सुनवाई काफी महत्वपूर्ण मानी जा रही है। गौरतलब है कि सीबीआइ ने अपने हलफनामे में कहा है कि कानून मंत्री अश्रि्वनी कुमार, अटॉर्नी जनरल जीई वाहनवती, पीएमओ और कोयला मंत्रालय के अधिकारियों के सुझावों पर रिपोर्ट में बदलाव किए गए।

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यदि सुप्रीम कोर्ट ने कड़ा रुख अपनाया तो कानून मंत्री की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।

अश्रि्वनी कुमार और वाहनवती ने तमाम आरोपों से इन्कार करते हुए कहा था कि रिपोर्ट के मसौदे में बदलाव के लिए उनकी ओर से कोई सुझाव नहीं दिया गया था। वाहनवती ने तो यहां तक दावा किया था कि उन्होंने प्रगति रिपोर्ट का मसौदा देखा तक नहीं था। पूर्व एडिशनल सॉलिसिटर जनरल हरिन रावल ने दावा किया था कि ये रिपोर्ट किसी ने नहीं देखी। अपने नौ पन्नों के दूसरे हलफनामे में सीबीआइ निदेशक रंजीत सिन्हा ने इन दावों को झुठलाते हुए माना कि जांच की प्रगति रिपोर्ट को लेकर तीन बैठकें हुई। पहली बैठक कानून मंत्री अश्रि्वनी कुमार के दफ्तर में, दूसरी अटॉर्नी जनरल, जबकि तीसरी सीबीआइ दफ्तर में हुई। इनमें कानून मंत्री, अटॉर्नी जनरल, एडिशनल सॉलिसिटर जनरल, पीएमओ के संयुक्त सचिव शत्रुघ्न सिंह और कोयला मंत्रालय के संयुक्त सचिव एके भल्ला मौजूद रहे।

सिन्हा ने माना कि सबसे ज्यादा बदलाव कानून मंत्री ने कराए, जबकि शत्रुघ्न सिंह व एके भल्ला सीबीआइ अधिकारियों से नियमित संवाद कर रहे थे। सीबीआइ निदेशक ये स्पष्ट नहीं कर सके कि प्रगति रिपोर्ट में ठीक-ठीक क्या बदलाव किए गए और किसने क्या बदलाव कराए। हालांकि, उन्होंने यह दावा जरूर किया कि प्रगति रिपोर्ट की केंद्रीय विषयवस्तु में बैठकों के बाद कोई छेड़छाड़ नहीं की गई। इसमें किसी भी संदिग्ध या आरोपी के खिलाफ न तो कोई साक्ष्य हटाया गया और न ही किसी को छोड़ा गया है। बकौल सीबीआइ ये सभी बदलाव स्वीकार किए जाने योग्य थे। सिन्हा ने जाने-अनजाने किसी भी भूलचूक के लिए बिना शर्त क्षमा याचना करते हुए कहा कि सीबीआइ मैनुअल में ये कहीं नहीं लिखा है कि उसे अपनी जांच रिपोर्ट किसी के साथ साझा करना चाहिए या नहीं। हलफनामे के बाद कानून मंत्री अश्रि्वनी कुमार ने फिर प्रधानमंत्री से मुलाकात की और दोहराया कि उन्होंने कुछ गलत नहीं किया। हालांकि, सरकार के सूत्र भी मान रहे हैं कि आज सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद कानून मंत्री का बचना नामुमकिन होगा।

उधर, कानून मंत्री और रेल मंत्री पर सरकार और संगठन की पिट रही भद पर अब कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी का धैर्य जवाब दे गया। इन दोनों ही घटनाओं से जिस तरह सरकार निपटी और संगठन को भी कथित तौर पर गुमराह किया गया, उससे कांग्रेस अध्यक्ष बेहद नाराज बताई जा रही हैं। सरकार और संगठन अश्रि्वनी कुमार के मुद्दे पर बिल्कुल बंट गए हैं। यद्यपि, प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह अभी भी अश्रि्वनी कुमार के बचाव में हैं, लेकिन संकेत हैं कि कर्नाटक के नतीजों के बाद दोनों मंत्रियों को जाना पड़ेगा और अगले कुछ दिनों में ही संगठन में फेरबदल के साथ-साथ संप्रग सरकार का मंत्रिमंडल विस्तार किया जाएगा। कर्नाटक के नतीजे अपने पक्ष में मान कर चल रही कांग्रेस का मत है कि संगठन-सरकार में बदलाव के बगैर इस सफलता को सियासी मैदान में वह भुना नहीं सकेगी।

दरअसल, कांग्रेस नेतृत्व मान रहा है कि अश्रि्वनी कुमार और बंसल मसलों की गंभीरता तथा सियासी संवेदनशीलता को समझने में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह व उनके रणनीतिकार पूरी तरह विफल रहे। इसीलिए कांग्रेस संगठन ने बेहद आक्रामक तरीके से सरकार के मंत्रियों के साथ-साथ पहले सीबीआइ की रिपोर्ट बदलने के मामले में अश्रि्वनी कुमार और फिर घूस कांड में पवन बंसल का बचाव किया। जबकि सीबीआइ की जांच रिपोर्ट बदलवाने के मामले में फंसे अश्रि्वनी कुमार का प्रधानमंत्री के अलावा कोई समर्थक नहीं था। सरकार के प्रबंधकों ने अश्रि्वनी के जाने के न सिर्फ नुकसान गिनाए, बल्कि यह भी आश्वासन देते रहे कि अदालत में सीबीआइ के हलफनामे के बाद स्थितियां सुधर जाएंगी।

पवन बंसल के भांजे के घूस कांड में फंसने के बाद संगठन में उनके खैरख्वाह तो तमाम थे, लेकिन सरकारी पक्ष की राय पर निर्भर थे। सरकार की ओर से विश्वास जताया गया कि इस मामले में रेल मंत्री नहीं फंसेंगे। मगर अब उनके भांजे के साथ मंत्री के दफ्तर के अफसरों के फोन कॉल के रिकार्ड सामने आने और सीबीआइ को मिले पुख्ता सुबूतों के बाद कांग्रेस आलाकमान बेहद चिंतित है। पार्टी मान रही है कि जिस तरह से इन दोनों ही मामलों पर विपक्ष ने लड़ाई संसद से बाहर निकालकर सड़क पर ला दी है, उससे निपटने में कांग्रेस को परेशानी होगी। सोमवार की शाम तक कांग्रेस नेतृत्व ने अपनी चिंताओं से प्रधानमंत्री को अवगत करा दिया था। सोनिया के राजनीतिक सचिव अहमद पटेल की सोमवार देर शाम हुई प्रधानमंत्री से मुलाकात को इसी संदर्भ से जोड़ा जा रहा है।

मंगलवार को सदन में भाजपा के साथ-साथ सपा जैसे सरकार के सहयोगियों ने भी सरकार पर भ्रष्टाचार को लेकर हमला बोला। लड़ाई संसद से लेकर सड़क तक बेहद उग्र हो गई है। इन हालात पर चर्चा के लिए संसद परिसर में कांग्रेस अध्यक्ष, प्रधानमंत्री, अहमद पटेल, एके एंटनी, पी चिदंबरम और सुशील कुमार शिंदे व कमलनाथ की बैठक हुई। इसमें सोनिया ने पूरे मसले से ठीक से न निपटे जाने पर बेहद तल्ख तेवर दिखाए और पूरे मामले से कड़ाई से निपटने को कहा।

कर्नाटक में विजय को सुनिश्चित मान रही कांग्रेस को लग रहा है कि सियासी माहौल पलटने की कोशिशों को कुमार-बंसल प्रकरण से धक्का लगेगा। इसलिए कोई कार्रवाई जरूरी है। कर्नाटक विजय पर कांग्रेस की सियासी निर्भरता का मुजाहिरा कमलनाथ ने भी किया। उन्होंने कहा कि कर्नाटक के नतीजे बता देंगे कौन भ्रष्टाचारी है। लेकिन नेतृत्व मान रहा है कि इस विजय के साथ ही कड़ी कार्रवाई भी करनी होगी। इसीलिए, अब अगले कुछ दिनों में ही दोनों मंत्रियों की विदाई के साथ ही कांग्रेस संगठन में फेरबदल और मनमोहन सरकार के मंत्रिमंडल विस्तार की भी तैयारियां तेज हो गई हैं।

मनमोहन के खास सिपहसलार अश्रि्वनी कुमार

अश्रि्वनी कुमार प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के विश्वसपात्र माने जाते हैं। अपेक्षाकृत अनुभव में कमतर होने के बावजूद प्रधानमंत्री की सरपरस्ती के कारण ही उन्हें कानून मंत्रालय का प्रभार मिला।

अश्रि्वनी कुमार कांग्रेस पार्टी के प्रमुख नेता और कानून मंत्री के तौर पर कार्यरत हैं। उन्हें सलमान खुर्शीद के स्थान पर कानून मंत्री बनाया गया था।

अश्रि्वनी कुमार का जन्म 26 अक्टूबर, 1952 को दिल्ली में हुआ था। उन्हें दिल्ली विश्वविद्यालय से शिक्षा ग्रहण की। उनकी पत्‍‌नी का नाम मधु है। उनके एक पुत्र और एक पुत्री है। वह पंजाब से रच्च्यसभा सांसद हैं। 60 वर्षीय अश्रि्वनी कुमार इंडो-जापान संसदीय ग्रुप के सदस्य भी हैं।

सीबीआइ ने 26 अप्रैल को कोर्ट में दायर हलफनामे में स्पष्ट तौर पर कहा है कि कानून मंत्री ने 12 मार्च को कोर्ट में पेश की गई सीलबंद रिपोर्ट को देखा था, जबकि कानून मंत्री ने दलील दी कि व्याकरण संबंधी त्रुटियों को देखने के लिए मंत्रालय में फाइल मंगाई गई थी। एक ओर जहां भाजपा किसी भी हाल में कानून मंत्री का इस्तीफा चाहती है। वहीं, दूसरी ओर सरकार अश्रि्वनी कुमार को बचा रही है।

प्रधानमंत्री के खुलकर अश्रि्वनी कुमार के पीछे खड़े होने के बावजूद कांग्रेस कोर कमेटी ने साफ कर दिया है कि उन्हें जाना होगा। बस इंतजार वक्त का है। पार्टी का एक खेमा कर्नाटक चुनाव के बाद उनकी विदाई के पक्ष में है।

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