हंगामे के चलते संसद की कार्यवाही स्थगित

parlement indianनई दिल्ली। बहुजन समाज पार्टी और भारतीय जनता पार्टी के हंगामे के चलते बुधवार को भी संसद की कार्यवाही 12 बजे तक स्थगित करनी पड़ी।

उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद में चार दलितों की हत्या के विरोध में बसपा ने संसद की कार्यवाही शुरू होते ही हंगामा करना शुरू कर दिया। इस वजह से संसद की कार्यवाही 12 बजे तक स्थगित कर दी गई। मायावती ने यूपी में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की।

वहीं, भाजपा ने कोलगेट व रेलगेट को लेकर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, कानून मंत्री अश्विनी कुमार व रेल मंत्री पवन कुमार बंसल के इस्तीफे की मांग की।

गौरतलब है कि मंगलवार को दोनों सदन कई बार के स्थगन के बाद पूरे दिन के लिए स्थगित कर दिए गए थे। दोनों सदनों में कार्यवाही शुरू होते ही पूरा विपक्ष वेल में था। इस बीच, एक बार सरकार ने फिर से खाद्य सुरक्षा विधेयक पर कदम आगे बढ़ाने की कोशिश की लेकिन तीखे विरोध में यह संभव नहीं था। इस विपक्षी एकता ने भाजपा का काम काफी हद तक आसान कर दिया और वह अब पूरी सतर्कता के साथ कदम बढ़ा रही है। भ्रष्टाचार के मुद्दे पर सरकार को कोई राहत भी नहीं देना चाहती है और अवरोध के लिए जिम्मेदार भी नहीं दिखना चाहती है। लिहाजा लोकसभा अध्यक्ष और संसदीय कार्यमंत्री की बैठकों का बहिष्कार करने का एलान कर चुकी भाजपा इसके लिए तैयार है कि अगर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह या लोकसभा के नेता सुशील कुमार शिंदे सर्वदलीय बैठक बुलाते हैं तो उसमें जाने से इंकार नहीं होगा। सुषमा ने इसकी पुष्टि की। दरअसल, सरकार की ओर से लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष सुषमा स्वराज को इस बाबत संदेश दिया गया था।

उन्होंने हामी भर दी, लेकिन यह भी साफ कर दिया कि इस्तीफा होने तक कोई विधेयक पारित नहीं हो सकता है। पार्टी प्रवक्ता शाहनवाज हुसैन ने कहा कि भाजपा को बतौर विपक्ष सरकार पर लगाम लगाने की जिम्मेदारी दी गई है। लिहाजा उसे लूट की छूट या मनमानी की आजादी नहीं दी जा सकती है।

भाजपा की पूरी चुनावी रणनीति भ्रष्टाचार के मुद्दों के आसपास है। ऐसे में अगर दो अहम और प्रधानमंत्री के नजदीकी मंत्रियों का इस्तीफा होता है तो पार्टी इसे बड़ी जीत मानेगी।

दूसरी ओर, खाद्य सुरक्षा विधेयक पर भी भाजपा आगे दिखना चाहती है। यही कारण है कि पार्टी प्रवक्ता प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि वह केंद्र सरकार के खाद्य सुरक्षा विधेयक को और भी लोगों तक ले जाना चाहते हैं। केंद्र का विधेयक में न सिर्फ कम लोगों को लक्ष्य किया गया है बल्कि अनाज भी मंहगे हैं। जबकि भाजपा शासित राज्य छत्तीसगढ़ में इस विधेयक के दायरे में लगभग 90 फीसद लोग आते हैं और उन्हें कम कीमत पर अनाज उपलब्ध कराया जाता है। भाजपा चाहती है कि इस पर पूरी चर्चा हो, ताकि अच्छा विधेयक लाया जा सके।

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