भाजपा के लिए ‘खलनायक’ बने येद्दयुरप्पा

b s yeddyurappaनई दिल्ली। कर्नाटक का किस्सा अब जल्द ही परिणाम की तरफ बढ़ने लगा है। जहां कांग्रेस सत्ता की तरफ बढ़ती जा रही है वहीं भाजपा का सूपड़ा साफ होता जा रहा है। सत्ताधारी दल खिसकते हुए तीसरे पार्टी के रूप में उपस्थिति दर्ज करा रहा है। भाजपा उसी दिन हार की ओर बढ़ गई थी जब लिंगायत के सबसे ब़ड़े नेता बीएस येद्दयुरप्पा पार्टी से अलग हो गए थे।

सत्तारूढ़ भाजपा से अलग होकर कर्नाटक जनता पक्ष [कजपा] बनाने वाले दक्षिण भारत में भाजपा के पूर्वखेवनहार बीएस येद्दयुरप्पा के जाने से भाजपा को चुनावों में करीब 50 सीटों का नुकसान झेलना पड़ रहा है। दक्षिण भारत में संगठन का झंडा गाड़ने वाले बीएस येद्दयुरप्पा ने अब भाजपा के सामने बड़ी चुनौती खड़ी कर दी है। भाजपा को येद्दयुरप्पा की बगावत महंगी पड़ गई क्योंकि वो लिंगायत जाति से आते हैं जिसे सालों तक पार्टी अपना वोट बैंक समझती रही है।

चालीस सालों तक जनसंघ और फिर भाजपा को कर्नाटक में खड़ा करने व दक्षिण के द्वार कहे जाने वाले कर्नाटक में पहली बार भाजपा की पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने वाले येद्दयुरप्पा विपक्षियों से अधिक अपने ही दल के नेताओं के षड़यंत्र के शिकार हो गए। मुख्यमंत्री का पद छिन जाने व भाजपा आलाकमान की बेरुखी ने येद्दयुरप्पा को बगावत कर नया दल बनाने को मजबूर किया। इसके बाद ही शहरी स्थानीय निकाय के चुनावों में भाजपा की करारी हार हुई। कर्नाटक में शहरी स्थानीय निकाय चुनावों के नतीजे वाकई चौंकाने वाले रहें। इससे भी यह स्पष्ट हो जाता है कि कांग्रेस के प्रत्याशियों के विजय में येद्दयुरप्पा के योगदान को नाकारा नहीं जा सकता।

भाजपा को सत्ता विरोधी लहर के मुकाबले येदियुरप्पा के अलग होने से ज्यादा नुकसान होता दिख रहा है। पार्टी हाईकमान भी मानने लगा था कि इस चुनाव में कांग्रेस को जो भी लाभ होगा, वह भाजपा की कमियों से होगा। इसलिए पार्टी अध्यक्ष राजनाथ सिंह लगभग सभी चुनावी सभाओं में कहते हैं कि भाजपा से कुछ गलतियां हुई हैं।

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