दिल्ली मेट्रो: बढ़ रही रफ्तार

delhi metroनई दिल्ली। आज की तारीख में जगह-जगह पटरी पर दौड़ने के साथ दरअसल, मेट्रो दिल्ली वालों के दिल में भी दौड़ती है। दिल्ली में शायद ही कोई ऐसा होगा जिसके लिए मेट्रो आज लाइफलाइन न हो। दिल्ली मेट्रो ने अपने लंबे सफर में कई उतार चढ़ाव देखे हैं। 11 साल पहले 24 दिसंबर को आठ किलोमीटर की दूरी से सफर शुरू करने वाली दिल्ली मेट्रो आज दिल्ली के हर कोने तक पहुंच गई है। ‘मेट्रो मैन’ के नाम से जाने जाने वाले डॉक्टर ई श्रीधरण का सपना आज दिल्ली की रगों में बस गया है। दिल्ली मेट्रो दिल्ली की धड़कन बनकर दिल्लीवासियों की रोजमर्रा की जिंदगी में शामिल हो गई है।

पिछले एक दशक में मेट्रो रेल ने दिल्ली की रफ्तार में तेजी ला दी है। अगर एक दिन किसी तकनीकी खामी की वजह से मेट्रो बंद हो जाती है तो दिल्ली की रफ्तार धीमी हो जाती है। मेट्रो सिर्फ लोगों के लिए एक आरामदायक परिवहन का विकल्प ही नहीं है बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी दिल्ली मेट्रो की एक अलग ही पहचान है। कई शहर दिल्ली मेट्रो से प्रेरित होकर इस योजना पर काम कर रहे हैं।

शुरुआती दौर में इसकी योजना छह मार्गो पर चलने की थी जो दिल्ली के ज्यादातर हिस्सों को जोड़ती थी। इस प्रारंभिक चरण का काम साल 2006 में पूरा कर लिया गया। बाद में इसका विस्तार राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र से सटे शहर गाजियाबाद, फरीदाबाद, गुड़गांव और नोएडा तक किया गया। आज के समय में लोग ट्रैफिक जाम से बचने के लिए मेट्रो से ही सफर करना पसंद करते हैं।

द्वितीय चरण (फेज 2) के अंतर्गत पूरे मार्ग की लंबाई 128 किमी है एवं इसमें 79 स्टेशन हैं। तीसरे और चौथे चरण का काम साल 2015 एवं 2020 तक पूरा किए जाने की योजना है। इन चारों चरणों का निर्माण कार्य पूरा हो जाने के पश्चात दिल्ली मेट्रो के मार्ग की कुल लंबाई 413.8 किलोमीटर की हो जाएगी जो लंदन के मेट्रो रेल (408 किमी) से भी बड़ी होगी। फिलहाल 16 लाख यात्री प्रतिदिन मेट्रो में सफर करते हैं।

दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन लिमिटेड दिल्ली मेट्रो का पूरा संचाल करती है। दिल्ली मेट्रो की खासियत है कि ये पांच मिनट के अंतराल के समय पर चलती है। लेकिन इन दिनों दिल्ली मेट्रो के निर्माण का खर्चा भी बढ़ता ही जा रहा है। आज की तारीख में देश में मेट्रो के लिए सिर्फ ट्रैक बिछाने की लागत 267 करोड़ रुपये प्रति किलोमीटर तक पहुंच गई है, इसलिए इसका एक विकल्प ढूंढना काफी जरूरी हो गया है।

गौरतलब है कि साल 2012-13 के आम बजट में दिल्ली मेट्रो रेल निगम (डीएमआरसी) को मेट्रो के विकास के लिए 2,216.69 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया। दिल्ली मेट्रो को सफलता की उड़ान देने वाले ई. श्रीधरण 15 सालों तक मेट्रो के प्रमुख के रूप में कार्यरत रहे। 31 दिसंबर साल 2011 को सेवानिवृत्त हो गए। फिलहाल मेट्रो का कार्यभार मंगू सिंह संभाल रहे हैं।

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