नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट की कड़ी फटकार के बाद सरकार ने सीबीआइ रूपी ‘तोते’ को ‘पिंजड़े’ यानी सरकारी हस्तक्षेप से बाहर निकालने की कवायद शुरू कर दी है। इसके लिए वित्त मंत्री पी चिदंबरम की अध्यक्षता में जीओएम (मंत्रि समूह) का गठन किया जाएगा। संचार मंत्री कपिल सिब्बल और कार्मिक राज्य मंत्री नारायण सामी इसके सदस्य होंगे। सीबीआइ निदेशक रंजीत सिन्हा इसमें स्पेशल विजिटर के रूप में शामिल होंगे। यह जीओएम पिछले तीन साल से धूल खा रहे सीबीआइ एक्ट, 2010 में सुप्रीम कोर्ट के ताजा निर्देशों के अनुरूप बदलाव के सुझाव देगा।
सीबीआइ अभी तक 1963 के दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना कानून (डीएसपीईए) के आधार पर काम कर रही है। सुप्रीम कोर्ट के 1998 के विनीत नारायण फैसले के बाद इसमें कुछ बदलाव किए गए थे। 50 साल पुराने इस कानून में बदलाव की जरूरत काफी लंबे समय से महसूस की जा रही थी। इसके चलते 2010 में नए सीबीआइ एक्ट की रूपरेखा भी तैयार कर ली गई थी। लेकिन, पिछले तीन साल से इसकी फाइल कार्मिक मंत्रलय में धूल खा रही है। वैसे इस प्रस्तावित सीबीआइ एक्ट में जांच एजेंसी को कोई स्वायत्तता नहीं दी गई है।
सुप्रीम कोर्ट के सख्त रवैये के बाद प्रधानमंत्री ने इसमें जरूरी बदलाव कर सीबीआइ एक्ट का मसौदा नए सिरे से तैयार करने का फैसला किया है। जीओएम सुप्रीम कोर्ट के ताजा निर्देशों के अनुरूप इस एक्ट में बदलाव के सुझाव देगा जिन्हें सरकार 10 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट में पेश करेगी।
गौरतलब है कि सीबीआइ के कामकाज में कानून मंत्री के दखल से नाराज सर्वोच्च अदालत ने सरकार से यह हलफनामा देने को कहा है कि वह जांच एजेंसी की स्वायत्तता के लिए क्या कदम उठाने जा रही है। कोयला घोटाला मामले की सुनवाई के दौरान सर्वोच्च अदालत ने सीबीआइ को सरकारी तोता करार दिया था।