एशियाई शेरों को मिलेगा दूसरा घर

-asiatic-lions-to-get-second-homeनई दिल्ली। दोस्तो, आपने जू में शेर तो देखा ही होगा और उसकी दहाड़ भी सुनी होगी। नहीं, तो टीवी पर या फिल्मों में तो जरूर देखा होगा। सुप्रीम कोर्ट के एक ताजा आदेश से गुजरात के गिर नेशनल पार्क में रहने वाले एशियाई शेरों को मध्य प्रदेश के पालपुर-कुनो अभयारण्य में दूसरा घर मिल सकता है। उम्मीद है कि इससे उनके संरक्षण में मदद मिलेगी। इस मौके पर आइए जानें एशियाई शेरों की खासियतों और इन दोनों अभयारण्यों के बारे में..

एशियाई शेर को एशियाटिक लॉयन के नाम से जाना जाता है। इसका वैज्ञानिक नाम पैंथेरा लियो पर्सिका है। अफ्रीकन लॉयन इसी की दूसरी प्रजाति है। एशियाई शेर की दहाड़ आठ किमी. दूर तक सुनी जा सकती है। इसकी ऊंचाई आमतौर पर करीब 90 सेंमी., लंबाई 200 से 280 सेंमी. और औसत वजन 200 से 275 किलोग्राम होता है।

ये आमतौर पर खानाबदोश यानी हमेशा घूमते रहने वाले पशु हैं, जो झुंड में रहना पसंद करते हैं। नर एशियाई शेर तीन मीटर तक लंबा हो सकता है।

वैसे अब तक के सबसे लंबे शेर की लंबाई 2.9 मीटर रिकॉर्ड की गई है। हालांकि यह अफ्रीकी शेरों की तुलना में थोड़ा छोटा होता है। एशियाई शेरों की औसत उम्र 16 से लेकर 18 साल तक होती है।

इसकी ताकत का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि यह अपने से कहीं ज्यादा बड़े हाथी और गैंडे जैसे जानवरों का शिकार भी आसानी से कर लेता है। दिलचस्प यह है कि एशियाई शेर करीब 80 किमी. प्रतिघंटे की रफ्तार से दौड़ सकता है और 11 मीटर ऊंची छलांग लगा सकता है। इसकी एक विशेषता यह भी है कि यह 5-6 दिन तक बिना पानी के भी रह सकता है। इसे बिग कैट्स के नाम से भी जाना जाता है। यह इतना आलसी होता है कि 24 घंटे में तकरीबन 21 घंटे आराम ही करता है।

एशियाई शेर भारत से भी एक समय लगभग खत्म हो गए थे, लेकिन बीसवीं शताब्दी की शुरुआत में जूनागढ़ के नवाब के विशेष प्रयासों और पिछले पचास वषरें में गुजरात के गिर में चलाये गए संरक्षण प्रयासों के चलते इनकी संख्या बढ़ाने में मदद मिली। हालांकि काफी समय से यह माना जा रहा है कि गिर अभयारण्य में शेरों और अन्य जानवरों की संख्या ज्यादा होने का असर उनके संरक्षण पर पड़ रहा है। इसी कारण एक समय 400 तक पहुंच गई इनकी संख्या पिछले कुछ समय से घट रही है।

सर्वोच्च न्यायालय ने गिर के एशियाई शेरों के मध्य प्रदेश के पालपुर-कुनो अभयारण्य में स्थानांतरित करने का आदेश देते समय यह कहा कि शेरों के पास एक वैकल्पिक आवास होना चाहिए, ताकि किसी बीमारी या आग जैसी आपदा के कारण उनकी पूरी आबादी खत्म न हो।

गिर और पालपुर-कुनो अभयारण्य

गिर नेशनल पार्क गुजरात राज्य में जूनागढ़ से 65 किमी. दक्षिण-पूर्व में स्थित है। इस अभयारण्य का कुल क्षेत्रफल 1412 वर्ग किलोमीटर है। फिलहाल एशियाई शेर केवल भारत में गुजरात के गिर नेशनल पार्क में ही पाये जाते हैं। 2010 की आधिकारिक गणना के अनुसार गिर नेशनल पार्क में कुल 411 एशियाई शेर हैं। इनमें 97 नर, 162 मादा और 152 शावक हैं।

गिर के सीमित क्षेत्र के कारण ही एशियाई शेरों को यहां से मध्य प्रदेश के पालपुर-कुनो अभयारण्य में स्थानांतरित करने का आदेश सुप्रीम कोर्ट ने दिया है।

पालपुर-कुनो वन्य जीव अभयारण्य पश्चिमी मध्य प्रदेश के श्योपुर जिले में विजयपुर और श्योपुर तहसील में फैला है। यह ग्वालियर से करीब 120 किमी. दूर है। यह 344.68 वर्ग किलोमीटर में फैला है।

गिर से स्थानांतरित होने के बाद म.प्र. के पालपुर-कुनो अभयारण्य में भी एशियाई शेर देखने को मिल सकते हैं।

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