‘तोते’ को ‘पिंजड़े’ से आजाद करने के लिए जीओएम, अधिकारियों को चीफ पर भरोसा नहीं

Central Bureau of Investigationनई दिल्ली । तोते की आजादी को लेकर सीबीआइ के भीतर ही घमासान मच गया है। सीबीआइ के मूल कैडर के अधिकारियों को अपने ही मुखिया पर भरोसा नहीं रह गया है। वे जांच एजेंसी के निदेशक आइपीएस अफसर रंजीत सिन्हा की मंशा पर ही सवाल खड़े कर रहे हैं। मूल कैडर के अफसरों का कहना है कि प्रतिनियुक्ति पर आए आइपीएस अफसरों के रहते असली आजादी नहीं मिल सकती। इस सिलसिले में ये अधिकारी वित्तमंत्री पी. चिदंबरम की अध्यक्षता में गठित मंत्रिमंडलीय समूह [जीओएम] को अलग से ज्ञापन भी देंगे। एजेंसी की स्वायत्तता सुझाने के लिए मंगलवार को गठित मंत्रिमंडलीय समूह में सीबीआइ निदेशक रंजीत सिन्हा को विशेष आमंत्रित के रूप में शामिल किया गया है।

सीबीआइ कैडर के एक अधिकारी ने आरोप लगाया कि सिन्हा जीओएम के सामने जांच एजेंसी की असली स्वायत्तता की मांग नहीं कर सकते। उनका पूरा जोर सीबीआइ में आइपीएस अधिकारियों को बढ़ावा देने पर है। पिछले महीने संसदीय समिति के सामने रंजीत सिन्हा ने यह कहते हुए सीबीआइ में आइपीएस अधिकारियों को बनाए रखने की वकालत की थी कि गड़बड़ी करने की स्थिति में उन्हें आसानी से वापस भेज दिया जाता है। जाहिर है मंत्रिमंडलीय समूह के सामने भी सिन्हा यही तर्क देंगे। मंत्रिमंडलीय समूह में चिदंबरम के अलावा गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे, कानून मंत्री कपिल सिब्बल, कार्मिक राज्यमंत्री नारायण सामी और विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद को शामिल किया गया है।

सीबीआइ कैडर के अफसरों के मुताबिक जांच एजेंसी को आइपीएस अधिकारियों के चंगुल से मुक्त किए बिना असली आजादी संभव नहीं है। इस समय एजेंसी में डीआइजी से ऊपर के सभी अधिकारी आइपीएस हैं, जिन्हें गृह मंत्रालय की मंजूरी के बाद प्रतिनियुक्ति पर तैनात किया गया है। चार साल के बाद प्रतिनियुक्ति विस्तार के लिए नए सिरे से गृह मंत्रालय व कार्मिक मंत्रालय की मंजूरी लेनी होती है। जाहिर है कि कोई भी आइपीएस अफसर गृह मंत्रालय की मर्जी के खिलाफ जांच नहीं कर सकता। सरकार भी जांच एजेंसी को अपने कब्जे में रखने के लिए इन्हीं आइपीएस को बढ़ावा देती रही है। शायद यही कारण है कि 1999 के बाद सीबीआइ में एक भी डीएसपी की सीधी नियुक्ति नहीं की गई है। वरिष्ठ आइपीएस अफसरों के डर से अब तक चुप रहने वाले मूल कैडर के अधिकारी इस बार करो या मरो पर उतारू हैं। एक अधिकारी ने कहा कि इस संबंध मंत्रिमंडलीय समूह के सामने ज्ञापन देने के अलावा हर संभव कदम उठाने को तैयार हैं। यहां तक कि जरूरत पड़ने पर अलग से सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने से भी नहीं चूकेंगे।

error: Content is protected !!