नई दिल्ली। रेल घूसकांड में पूर्व रेल मंत्री पवन बंसल के रिश्तेदार के शामिल होने के आरोप के बाद यह बहस एक बार फिर छिड़ गई है कि नेताओं के कामकाज में रिश्तेदारों की क्या और कितनी भूमिका होती है। इसकी पड़ताल करती हुई एक रिपोर्ट के अनुसार, राज्यसभा और लोकसभा के दर्जनों ऐसे सांसद हैं जिन्होंने अपने बेटे, बेटियों, पत्िनयों, बहनों भाइयों एवं नजदीकी रिश्तेदारों को निजी कर्मचारी बना रखा है और इन्हें तनख्वाह सरकार देती है।
आरटीआइ से ली गई जानकारी के आधार पर एक अंग्रेजी अखबार ने खबर दी है कि 146 सांसदों में कम से कम लोकसभा के 104 और राज्यसभा के 42 ऐसे सांसद हैं जिन्होंने 191 संबंधियों को अपना निजी कमर्चारी नियुक्त कर रखा है। इन कर्मचारियों को लोकसभा और राज्यसभा सचिवालय प्रति माह 30 हजार रुपये भुगतान करती है। सांसद यह राशि एक या एक से ज्यादा पीए को भुगतान कर सकता है।
कुछ वरिष्ठ सांसदों व विशेषज्ञों को कहना है कि अपने संबंधियों या नजदीकी रिश्तेदारों को कर्मचारी के तौर पर रखना कोई कानून का उल्लंघन नहीं है, लेकिन यह निश्चित रूप से उनकी नैतिकता और मर्यादा के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि इस तरह के विकल्प पार्टी के निष्ठावान कार्यकर्ताओं की अनदेखी कर चुने जाते हैं। बेहतर तो यही है कि सांसद अपने मतदाताओं और समर्थकों के बीच से योग्य व्यक्ति को चुनकर अपना कर्मचारी नियुक्त करें।
रिपोर्ट में कहा गया है पीए के इस पारिवारिक फौज में 60 बेटे, 36 पत्िनयां, 27 बेटियां, सात भाई, सात पुत्रवधू, चार पति और 10 भतीजे शामिल हैं। जिन 146 सांसदों ने अपने रिश्तेदारों को पीए बना रखा है उनमें बीजेपी के 60, कांग्रेस के 36, बसपा के 15, समाजवादी पार्टी के 12, डीएमके के आठ, बीजद के सात, जदयू के छह और शेष दूसरी पार्टियों के सांसद शामिल हैं। इनमें से 36 ऐसे सांसद हैं जिन्होंने एक से ज्यादा रिश्तेदारों को और कम से कम चार ऐसे सांसद हैं जिन्होंने तीन रिश्तेदारों को पीए बना रखा है। कुछ ऐसे भी सांसद हैं जो अपने रिश्तेदार पीए को 30 हजार रुपये का ज्यादा हिस्सा पगार के रूप में देते हैं और दूसरे गैरश्तिेदार पीए को कम हिस्सा मिलता है।
आंकड़ों में कई चौंकाने वाले तथ्य मौजूद हैं। सांसदों के 251 ऐसे पीए, जिनमें 191 नजदीकी रिश्तेदार हैं, उन्हें दिल्ली में घोषित न्यूनतम मजदूरी से काफी कम बतौर पगार दिया जाता है। 202 लोकसभा सांसदों और 49 राज्यसभा सांसदों के पीए में कुछ तो ऐसे है जिन्हें दो हजार रुपये प्रति माह तनख्वाह मिल रही है, जबकि दिल्ली में प्रशिक्षित मजदूरों की न्यूनतम मजदूरी भी आठ हजार रुपये प्रति माह से ज्यादा है।
लोकसभा की 14 सदस्यीय नैतिकता समिति में कम से कम तीन ऐसे सदस्य हैं जिन्होंने अपने रिश्तेदार को अपना पीएम नियुक्त कर रखा है। इसमें दारा सिंह चौहान, सुमित्रा महाजन और प्रेम दास राय शामिल हैं। वहीं, राज्यसभा की 10 सदस्यीय नैतिकता समिति में एक इएमएस नचियप्पन ऐसे सांसद हैं जिनका रिश्तेदार ही उनका पीए है।