कोयला ब्लॉकों पर बैठी बड़ी कंपनियां निशाने पर

coal blockनई दिल्ली। केंद्र सरकार एक बार फिर दिग्गज कंपनियों को आवंटित कोयला ब्लॉकों पर सख्ती दिखाने जा रही है। वर्षो से कोयला ब्लक लेकर उनसे विकसित नहीं करने वाली लगभग 32 कंपनियों को कोयला मंत्रालय की तरफ से कारण बताओ नोटिस जारी होने की संभावना है। इससे टाटा, जिंदल समूह समेत कई निजी कंपनियों और सरकारी कंपनियों सेल और एनटीपीसी को आवंटित कोयला ब्लाकों पर भी गाज गिर सकती है।

कोयला मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि एक मई, 2013 को अंतर-मंत्रालयी समूह की बैठक में यह फैसला किया गया कि कोयला ब्लाक लेकर उसका दोहन नहीं करने वाली कंपनियों को अब नए सिरे से नोटिस जारी किए जाएं। कंपनियों को एक माह का समय दिया जाएगा कि उनके आवंटन को क्यों न रद कर दिया जाए। अगर उनके जबाव को संतोषप्रद नहीं पाया गया तो सरकार उसे रद करने के लिए कदम उठाएगी। केंद्र सरकार ने वर्ष 2010 में भी एक साथ 58 कंपनियों को कारण बताओ नोटिस जारी किया था। हालांकि, उसका बहुत असर नहीं पड़ा। कुछ कंपनियों के आवंटन रद किए गए, जिन्हें बाद में सरकार ने फिर से उन्हें लौटा दिए। कुछ मामलों में कंपनियां अदालत चली गई हैं। कुछ ही मामलों में सरकार कंपनियों की बैंक गारंटी आदि जब्त कर पाई है।

बहरहाल, जिन कोयला ब्लॉकों के लिए सरकार नए कारण बताओ नोटिस जारी करने जा रही है, उनमें वैसे ब्लॉक भी शामिल हैं जिनका जिक्र नियंत्रक एवं महा लेखापरीक्षक ने भी हाल ही में पेश अपनी रिपोर्ट में किया है। इस रिपोर्ट में कहा गया था कि गलत तरीके से आवंटन होने से देश को 1.86 लाख करोड़ रुपये की हानि हुई है। इसको लेकर विपक्षी दलों ने सरकार पर जबर्दस्त हमला किया था। सरकार ने अंतत: इसकी जांच सीबीआइ से करवाने का फैसला किया था। इस क्रम में हाल ही में कानून मंत्री अश्विनी कुमार को इस्तीफा भी देना पड़ा है।

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