एक क्लिक में जानें, भारत-चीन के बीच हुए कौन से 8 समझौते

Prime Minister, Manmohan Singh, China's prime minister,नई दिल्ली। सहयोग और शांति बहाली के वादे के साथ भारत और चीन के प्रधानमंत्री के बीच वार्ता समाप्त हो गई है। अब देखने वाली बात यह है कि चीन अपने वादों पर खरा उतर भी पाता या फिर सीमा पर उसकी बेवजह की घुसपैठ उसके वादों को खोखला साबित करती है।

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भारत और चीन के बीच सोमवार को प्रतिनिधिमंडल स्तर की बातचीत खत्म हो गई। इस दौरान दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों की मौजूदगी में कैलाश-मानसरोवर यात्रा आसान बनाने एवं बह्मापुत्र पर हाइड्रोलॉजिकल डाटा साझा करने के साथ-साथ कुल आठ समझौतों पर हस्ताक्षर हुए।

तीन दिवसीय दौरे पर भारत आए चीनी प्रधानमंत्री ली कछ्यांग ने मीडियाकर्मियों को संबोधित करते हुए कहा कि भारत बेहद अहम पड़ोसी है और इसके साथ हमेशा शांति और सहयोग पर जोर रहेगा। उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच आपसी रणनीतिक साझेदारी बढ़ने की उम्मीद है। वहीं, प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि दोनों देश सीमा पर शांति चाहते हैं। विकास के लिए अमन होना जरूरी है। उन्होंने कहा कि हम आपसी रिश्ते के साथ-साथ कारोबारी रिश्ते भी मजबूत करना चाहते हैं। मनमोहन ने चीन जाने का न्यौता स्वीकार करते हुए कहा कि भविष्य में दोनों देशों के बीच रिश्ते और मजबूत होंगे। उन्होंने चीन से भारत के लिए अपना बाजार और खोलने की मांग की। मनमोहन सिंह ने कहा कि उनकी चीनी समकक्ष से नदी, सीमा विवाद, कारोबार सहित कई मुद्दों पर अहम बातचीत हुई है।

इससे पहले, रविवार को हालिया सीमा विवाद के साये में चीनी प्रधानमंत्री के साथ मुलाकात में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने सीमाओं पर शांति का मुद्दा उठाया। सीधी मुलाकात में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने ली से दृढ़ और दो-टूक कहा कि सीमा पर शांति बेहद जरूरी है। इसके बिना दोनों देशों के रिश्ते प्रभावित होंगे।

सूत्रों के मुताबिक, दोनों नेताओं के बीच निर्धारित 30 मिनट के बजाए एक घंटे चली बातचीत में दोनों पक्षों ने अपने-अपने मुद्दों को उठाया।

बातचीत के दौरान मनमोहन सिंह ने लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर तीन हफ्तों तक चले हालिया सैन्य गतिरोध के मद्देनजर सीमाओं पर शांति के मुद्दे पर जोर देते हुए इसे दोनों मुल्कों के रिश्तों के लिए जरूरी करार दिया। सरकारी सूत्रों के मुताबिक, भारत की ओर से दोनों देशों के बीच बहने वाली नदियों पर अपनी चिंताएं भी रखी गई।

गौरतलब है कि ब्रह्मपुत्र नदी पर तिब्बत में बन रहे बांधों को लेकर भारतीय खेमे में चिंताएं हैं। ब्रह्मपुत्र भारत के पूर्वोत्तर रज्च्यों के लिए काफी अहम है। भारत की चिंता चीनी बांधों के कारण जल बहाव प्रभावित होने को लेकर है। मार्च में चीन के राष्ट्रपति से हुई मुलाकात में भी प्रधानमंत्री सिंह ने इस मामले को उठाया था। भारत ने इसके लिए एक संयुक्त निगरानी तंत्र बनाने का भी प्रस्ताव रखा है। समझा जाता है कि चीनी प्रधानमंत्री ने भारत में मौजूद तिब्बती नेताओं, खासकर दलाई लामा को लेकर अपनी चिंताएं जाहिर कीं। दलाई लामा के बारे में भारतीय खेमे की ओर से स्पष्ट कहा गया कि वह एक सम्मानित धर्म गुरु हैं। दोनों नेताओं की बातचीत में व्यापारिक असंतुलन का मुद्दा भी प्रमुखता से उठा।

प्रधानमंत्री ने अपने चीनी समकक्ष के सम्मान में रात्रिभोज भी दिया, जिसमें कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, पार्टी उपाध्यक्ष राहुल गांधी, लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज और रज्च्यसभा में नेता प्रतिपक्ष अरुण जेटली भी मौजूद रहे। साथ ही, सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव और प्रकाश करात भी उपस्थित थे। प्रधानमंत्री बनने के बाद कछ्यांग ने विदेश यात्रा के लिए सबसे पहले भारत को चुनकर अपनी वरीयता पर संदेश देने की कोशिश की है। दौरे पर आए ली मंगलवार को मुंबई जाएंगे। भारत के बाद ली को पाकिस्तान भी जाना है। बड़े उद्योग प्रतिनिधिमंडल के साथ आए ली दोनों देशों के पहले सीईओ फोरम को भी संबोधित करेंगे।

आठ समझौतों पर हुए हस्ताक्षर निम्न हैं :-

1. कैलाश-मानसरोवर यात्रा को सुगम बनाने एवं मार्ग में सुविधाएं बढ़ाने के लिए दोनों देशों के बीच समझौता।

2. वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय द्वारा संयुक्त आर्थिक समूह के तहत तीन कार्यसमूहों का गठन।

3. कृषि एवं खाद्य प्रसंस्करण प्राधिकरण के अंतर्गत मांस, मत्स्य उत्पादों एवं चारा व चारा सामग्री, समुद्री उत्पादों का एक-दूसरे देशों में निर्यात को बढ़ावा देने का समझौता।

4. शहरी क्षेत्र में सीवेज ट्रीटमेंट के क्षेत्र में एवं अन्य आपसी हित के मुद्दों पर एक-दूसरे के साथ अनुभव का आदान-प्रदान करना।

5. जल के कुशल प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में आपसी सहयोग को बढ़ावा देना। 6. किताबों के अनुवाद एवं प्रकाशन के क्षेत्र में समझौता।

7. नदियों को लेकर हाइड्रोलॉजिकल डाटा को एक-दूसरे से साझा करने को लेकर समझौता।

8. भारत और चीन के शहरों व प्रांतों के लोगों के बीच आपसी सहयोग को सुविधाजनक बनाने के लिए समझौता।

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