मुंबई। ब्रिटेन में महात्मा गांधी की कुछ वस्तुओं सहित उनके खून की नीलामी से व्यथित उनके प्रपौत्र तुषार गांधी का मानना है कि अब बापू भी निवेश की वस्तु बन गए हैं और उनके नाम का भी सट्टा होने लगा है। उनके अनुसार इसे रोका जाना चाहिए।
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी से संबंधित वस्तुओं की नीलामी की खबरें अक्सर आती रहती हैं। अभी कुछ दिन पहले ब्रिटेन के एक नीलामीघर द्वारा की गई नीलामी उनकी वस्तुओं की अब तक की छठवीं बड़ी नीलामी थी। इसमें नीलामीघर को दो करोड़, 51 लाख, 64 हजार रुपए ( तीन लाख पौंड) प्राप्त हुए। तुषार गांधी कहते हैं कि ये वस्तुएं आज किसी व्यक्ति द्वारा निजी संपत्ति के रूप में खरीदी गई होंगी और कुछ वर्ष बाद दो-तीन गुने मूल्य पर बेच दी जाएंगी। क्योंकि महात्मा गांधी अब लोगों को निवेश की वस्तु लगने लगे हैं।
तुषार कहते हैं कि बापू के खून तक की नीलामी होती है, और हम लाचारी दर्शाते हुए बैठे रहते हैं, क्योंकि इसे रोकने के लिए हमारे पास कोई राष्ट्रीय नीति नहीं है। उनके अनुसार न सिर्फ बापू की चीजें, बल्कि अन्य राष्ट्रीय धरोहरों पर अपनी मिल्कियत जताने के लिए एक ऐसे कानून की जरूरत है, जो अंतरराष्ट्रीय अदालतों में भी मान्य हो। तब हम राष्ट्रीय सम्मान से जुड़ी वस्तुओं की नीलामी रोकने या नीलामी करनेवाली कंपनियों पर कानूनी कार्रवाई करने में सक्षम हो सकते हैं।
गौरतलब है कि भारत ने अब तक संयुक्त राष्ट्र संघ की एंटीक्विटी ट्रीटी (पुरावस्तु समझौता) पर भी हस्ताक्षर नहीं किए हैं। तुषार कहते हैं कि इसीलिए हम बापू के खून, टीपू सुल्तान की तलवार, मौर्या वंश के सिंहासन, कोहिनूर हीरा एवं बेशकीमती पांडुलिपियों जैसी पुरातात्विक महत्व एवं राष्ट्रीय सम्मान से जुड़ी वस्तुओं पर अपना दावा पेश नहीं कर पाते । तुषार कहते हैं कि भारत सरकार को सुप्रसिद्ध इतिहासकारों एवं पुरातत्वविदों की एक समिति बनाकर अपनी राष्ट्रीय धरोहरों की सूची बनानी चाहिए । भारतीय संसद को कानून बनाकर यह सूची संयुक्त राष्ट्रसंघ की एंटीक्विटी ट्रीटी के तहत लाना चाहिए, ताकि ये वस्तुएं हम कभी न कभी भारत वापस ला सकें।