हकीकत से मेल नहीं खा रहे यूपीए सरकार के दावे

upa-governments-claims-are-far-from-realityनई दिल्ली। यूपीए-दो ने बुधवार को जब पिछले चार साल का रिपोर्ट कार्ड जारी किया तो हर क्षेत्र में तरक्की और विकास के दावे कर डाले, लेकिन पेश किए गए आंकड़े हकीकत से मेल नहीं खा रहे हैं। सरकार ने कृषि से लेकर खाद्य सुरक्षा और महंगाई पर अंकुश से लेकर रोजगार बढ़ोत्तरी तक यूपीए-2 को उपलब्धियों से लबरेज बताया। हालांकि, सरकार के दावों और हकीकत की वास्तविकता कुछ यूं है..

दावा : आर्थिक विकास के लिए अच्छा काम किया है। कृषि में 11वीं योजना में 3.7 फीसद की वृद्धि, 12वीं योजना में 4 फीसद बढ़ोत्तरी हासिल करेंगे।

वास्तविकता : कृषि क्षेत्र में निवेश न होने से विकास की दर में तेज उतार-चढ़ाव। मानसून पर निर्भरता का विकल्प अब तक नहीं।

दावा : खाद्य सुरक्षा विधेयक को लेकर प्रतिबद्ध। पिछले नौ साल में खाद्य सब्सिडी बढ़ी है।

वास्तविकता : बमुश्किल लोकसभा में पेश हो पाया विधेयक। खाद्यान्न की उपलब्धता को लेकर चिंताएं।

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दावा : महंगाई घटी है।

वास्तविकता :संप्रग-2 के चौथे वर्ष में आकर सिर्फ थोक मूल्यों पर आधारित महंगाई में कमी हुई। खाद्य उत्पादों और खुदरा मूल्यों पर आधारित महंगाई दर अभी भी दहाई अंक के करीब।

दावा : गरीबों की संख्या घटी है। वास्तविकता : गरीबों की संख्या के आकलन को लेकर अभी सरकार खुद मुतमईन नहीं है। गरीबी के आकलन के आधार को लेकर भी मतभेद।

दावा : भूमि अधिग्रहण विधेयक समेत लोकपाल को लेकर सरकार प्रतिबद्ध।

वास्तविकता: भूमि अधिग्रहण विधेयक पर संप्रग सरकार के चौथे वर्ष में जाकर सहमति बन पाई, लेकिन अब तक विधेयक संसद में नहीं आया। लोकपाल विधेयक को संसद में पेश होने का इंतजार।

यूपीए सरकार ने सही तस्वीर नहीं दिखाई है

दावा : शिक्षा का अधिकार कानून ने बदली तस्वीर।

वास्तविकता : बीते मार्च में अमल की मियाद पूरी, फिर भी 12 लाख स्कूली शिक्षकों की कमी। पेयजल, छात्र-शिक्षक अनुपात और दूसरे मानकों पर खरा नहीं उतरा कानून।

दावा : मिड डे मील से 10 करोड़ बच्चे लाभान्वित।

वास्तविकता : खामियों को लेकर शिकायतों से अछूता नहीं रह पाया यह कार्यक्रम।

दावा: समेकित बाल विकास योजना (आइसीडीएस) के लिए 12वीं योजना में 1,23,580 करोड़ रुपये का बजट। वास्तविकता: कार्यक्रम छह साल तक के बच्चों, गर्भवती व धात्री महिलाओं को कुपोषण से बचाने के लिए पूरक पुष्टाहार का है। फिर भी साल दर साल बढ़ रहा है कुपोषण।

दावा : मनरेगा से 4.8 करोड़ परिवारों को मिला रोजगार। वास्तविकता : 2009-10 के मुकाबले साल 2012-13 में मनरेगा से मिलने वाले रोजगार में 36 प्रतिशत की कमी हुई। रोजगार बांटने को लेकर घोटाले के आरोप।

दावा : निवेश का माहौल सुधारने को उठाए कदम।

वास्तविकता : रिटेल, पावर एक्सचेंज, एविएशन में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को अनुमति देने के बावजूद नहीं बढ़ रहा है एफडीआइ। एफआइआइ के भरोसे सरकार।

दावा: राजकोषीय घाटे को नीचे लाने में सफलता।

वास्तविकता : 2जी स्पेक्ट्रम, विनिवेश, मंत्रालयों के योजना खर्च में भारी कमी से ही काबू हो पाया राजकोषीय घाटा। सोने के बढ़े आयात ने चालू खाते के घाटे पर दबाव बढ़ाया।

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