नई दिल्ली। सरबजीत सिंह की तरह पाकिस्तान की जेल में उत्तर प्रदेश की जरीनगरी बरेली का भी एक लाल पिछले कई सालों से सजा काट रहा है। जिले के फतेहगंज पूर्वी क्षेत्र केपढेरा गांव का निवासी 22 वर्षीय यशपाल इस समय लाहौर की कोटलखपत जेल में सजा काट रहा है। दिल्ली में नौकरी करने गए यशपाल को 30 मई 2010 को पाकिस्तान सीमा में पकड़ लिया गया था। कई दिनों तक पाकिस्तान की खुफिया एजेंसियां जासूस होने के शक में उससे पूछताछ करती रहीं, मगर लाख कोशिश के बावजूद वह इस बेकसूर से कुछ हासिल नहीं कर सकीं।
खुफिया एजेंसियां जब यशपाल से कुछ हासिल नहीं कर सकीं, तो उसे पाकिस्तान में पंजाब की साहीवाल अदालत ने सीमा उल्लंघन के आरोप में तीन साल कैद की सजा सुना दी थी। शुरुआत में यशपाल को साहीवाल जेल में ही रखा गया। बाद में अन्य भारतीय कैदियों के साथ उसे लाहौर की कुख्यात कोटलखपत जेल पहुंचा दिया गया है। तब से यशपाल वहीं कैद है। तीन साल की सजा पूरी करके यशपाल 30 मई को जेल से रिहा हो जाएगा। तंगहाली में जीवन बसर कर रहे यशपाल के गरीब माता-पिता बाबूराम और मायादेवी 30 मई को अपने बेटे की जेल से रिहाई की जानकारी मिलने से बहुत खुश हैं।
इस वृद्ध दंपति ने सालों से शहर नहीं देखा है, लेकिन अपने गुमशुदा लाल की खोजखबर मिलने से उत्साहित होकर वे अपने बेटे को घर वापस लाने के लिए कहीं भी जाने को तैयार हैं। यशपाल की भावुक माता मायादेवी का कहना है कि बेटे को वापस आने दो। अब हम उसे कहीं बाहर नहीं भेजेंगे। यशपाल के पाकिस्तान की जेल में कैद होने की जानकारी मिलने पर बैचेनी में दिन गुजार रहे पढेरा के लोग भी अब उसकी रिहाई की सूचना मिलने से बहुत प्रसन्न हैं।
गांव के कुछ लोग बाबूराम की मदद के लिए उसके साथ दिल्ली जाने को भी तैयार हैं। वैसे पढेरा के लाल यशपाल के बारे में पता चलने पर अब कई लोग मदद की पेशकश और सहानुभूति का जज्बा लेकर पढेरा गांव पहुंचने लगे हैं। तमाम संस्थाओं की कोशिशों के कारण जिला प्रशासन ने भी बाबूराम की फाइल तैयार करा ली है और जल्द ही उन्हें सरकारी योजना के तहत आवास आवंटित करने तथा अन्य लाभ देने की तैयारी है।