नई दिल्ली। महात्मा गांधी के जीवन दर्शन से प्रभावित द्वारका निवासी 80 वर्षीय तेजलाल भारती पिछले छह वर्षो में करीब एक हजार पेड़ लगा चुके हैं। प्रकृति को लौटाने की उनकी ललक ही है कि वे पौधे लगा कर न केवल जतन से पालते हैं, बल्कि देखभाल के अभाव में मुरझाने वाले पेड़-पौधों को भी फिर से जीवित कर देते हैं।
भारती बताते हैं, ‘प्रकृति हमें कितना कुछ देती है, बदले में क्या हमें प्रकृति को कुछ नहीं देना चाहिए? क्या हम संतान को जन्म देने के बाद उनकी परवरिश नहीं करते? फिर पेड़-पौधे की परवरिश करने में क्या हर्ज है? एक पेड़ अपनी पूरी आयु में लगभग 15 लाख रुपये का फायदा पहुंचाता है।’ लगभग 34 वर्ष पूर्व सरकारी नौकरी छोड़ कर वह समाज सेवा में लग गए और पिछले छह वर्षो में पर्यावरण की सेवा कर रहे हैं।
वह सुबह पांच बजे उठते हैं। हाथ में फावड़ा, खुरपी व अन्य जरूरी औजार लेकर निकल पड़ते हैं। जहां भी इन्हें नाले, फुटपाथ पर अनायास उगे पौधे दिखते हैं, वहां से इन्हें उखाड़कर पार्को या आसपास खुली जगहों पर लगा देते हैं। इस बीच यदि किसी पेड़ या पौधे की शाखा ज्यादा बड़ी हो गई हो तो उनकी ध्यान से कटाई-छंटाई करते हैं। ऐसा करने का मकसद पेड़ को तंदुरुस्त रखना है। भारती बताते हैं कि द्वारका जैसी उपनगरी में पेड़-पौधे लगाने की संभावनाएं अन्य जगहों से ज्यादा है। यहां खुली जगह है और कंक्रीट के जंगल तो हैं, परंतु पेड़-पौधों के जंगल कम। इसी कमी को दूर करने की कोशिश कर रहे हैं,