पुणे। हमेशा ही व्यवस्था का रोना रोने वालों को 76 वर्षीय पीएस दंडवते से प्रेरणा लेनी चाहिए, जिन्होंने सिर्फ एक ट्रैफिक सिग्नल के लिए 13 साल तक लंबी लड़ाई लड़ी। आखिरकार, पिछले सप्ताह पुणे नगर निगम (पीएमसी) ने कोठरुड के परमहंस नगर चौक पर ट्रैफिक सिग्नल की मंजूरी दे दी। यह वही चौक है, जिस पर भारी ट्रैफिक के कारण पिछले एक दशक में चार बड़े हादसे हुए हैं।
दंडवते के मुताबिक, वर्ष 2000 की एक शाम चांदनी चौक की ओर से आ रही एक बस ने परमहंस चौक पर मिलिंद गांवड़े (30) को रौंद दिया। हादसे के दूसरे दिन मैंने पीएमसी के सड़क विभाग को तीन-चार स्थानों पर तत्काल स्पीड ब्रेकर लगाने के लिए पत्र लिखा। पीएमसी ने स्पीड ब्रेकर लगा दिए, लेकिन इसके बाद भी हालात नहीं बदले, क्योंकि स्पीड ब्रेकर मानकों के आधार पर नहीं बनाए गए थे। यही वजह रही है कि उसी चौक पर सड़क पार करते समय एक 13 वर्षीय बालक अपनी जान गंवा बैठा।
ऐसे ही एक और हादसे में में वरिष्ठ नागरिक प्रभाकर कुलकर्णी को भी काफी चोट आई। जिसके बाद पीएमसी ने वहां से स्पीड ब्रेकर हटा दिए। इसके बाद स्थानीय नागरिकों ने ट्राफिक सिग्नल लगाने के लिए आंदोलन शुरू किया। मैंने पीएमसी आयुक्त को दर्जनों पत्र लिखे। हमारी लड़ाई कोर्ट तक पहुंची। अंतत: हमारा प्रयास रंग लाया।
करीब 13 साल पहले अपने पति को खो चुकीं मिलिंद की पत्नी अंजलि गांवड़े ने सिग्नल लगाने के फैसले को देर से लिया गया सही निर्णय करार दिया है।