अब कुमांऊ में कुदरत का कहर, मिलम ग्लेशियर टूटा, 3 मरे

now-in-kumaun-range-milam-glacier-has-brokenहल्द्वानी। गढ़वाल क्षेत्र में भारी बारिश और बाढ़ से तबाही के बाद अब कुमांऊ क्षेत्र में कुदरत का कहर टूटा है। खबर है कि पिथौरागढ़ जिले के मुनस्यारी क्षेत्र में बुधवार की सुबह मिलम ग्लेशियर टूटने से आइटीबीपी जवान समेत तीन लोगों की मौत हो गई और चार अमेरिकन समेत 18 ट्रेकर (पर्यटक) फंस गए। इसके साथ ही गोरी नदी बने छह पुल, दो होटल व निजी गेस्ट हाऊस भी जमींदोज हो गए।
जानकारी के अनुसार, मुनस्यारी क्षेत्र में मिलम ग्लेशियर के टूटने से वहां रहने वाली बसंती देवी पत्‍‌नी लक्ष्मण सिंह पांग्ती, उनके पुत्र इंद्र सिंह पांग्ती व पड़ोस में रहने वाली खिला देवी पत्‍‌नी तेज सिंह पांग्ती की मौत हो गई। इनमें इंद्र सिंह पांग्ती आईटीबीपी दिल्ली में तैनात थे, वह इन दिनों छुंट्टी पर आए हुए थे। इसके साथ ही ट्रेकिंग के लिए आए चार अमेरिकी और 18 भारतीय पर्यटक भी फंसे हुए हैं।
ग्लेशियर फटने से यहां से निकलने वाली गोरी नदी का जल स्तर एकाएक बढ़ गया। जिससे नदी पर मिलम, गुर्फु, कतौली, व्यूरानी, बुगडियार, तोला के पुल बह गए। जोहार घाटी के रालम, नागनीधुरा, तोला, गुर्फु, नहरदेवी, मोरपानी, हीरामणि ग्लेशियर, लास्पा में कीड़ा जड़ी की तलाश में गए सैकड़ों लोग फंसे हैं। उधर, धारचूला के मदकोट गांव में शेष बचे तेरह मकान भी दोपहर 12 बजे जमींदोज हो गए। उच्च हिमालयी क्षेत्रों में अभी भी मूसलाधार बारिश जारी है।
क्या है मिलम ग्लेशियर
हिमालय क्षेत्र के कुमांऊ इलाके में मिलम ग्लेशियर काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। यह पिथौरागढ़ के मुनस्यारी तहसील में एवं नंदा देवी से 15 किमी उत्तर-पूर्व में स्थित है। यह समुद्र तल से 5500 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है और इसकी कुल लंबाई लगभग 16 किमी है। मिलम ग्लेशियर को 1962 में बंद किया गया था। इसके बाद 1994 में ट्रैकिंग के लिए इसे दोबारा खोला गया। यह क्षेत्र ट्रैकरों एवं पर्यटकों के बीच काफी लोकप्रिय है। मार्च और मई महीने के बीच का मौसम यहां सैलानियों के आगमन के लिए सबसे बेहतर माना जाता है। जून महीने में बारिश के कारण यहां भूस्खलन एवं सड़क बाधित होने का खतरा काफी बढ़ जाता है। मिलम ग्लेशियर के लिए ट्रैकिंग मुनस्यारी से शुरू की जाती है। यह क्षेत्र हिमालय के दक्षिण मुहाने के ढलान पर स्थित है।

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