शंकराचार्य को लेकर रावल की टिप्पणी पर भड़के संत

shankracharyeदेहरादून। पिछले दिनों केदारनाथ मंदिर मंदिर में पूजा परंपराओं को लेकर रावल [मुख्य पुजारी] भीमा शंकर लिंग द्वारा शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद पर की गई टिप्पणी से विवाद खड़ा हो गया है। मंदिर के सभी संतों ने रावल के इस बयान का तीव्र विरोध करते हुए उन्हें पुजारी पद से हटाने की मांग की है।

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रावल ने शंकराचार्य पर आरोप लगाया था कि उन्हें मंदिर की पूजा का ज्ञान नहीं है। इसपर शंकराचार्य ने कहा कि शंकर की पूजा का ज्ञान अगर शंकराचार्य को नहीं हो तो फिर किसे है। रावल के इस बयान पर मंदिर के सभी संत भड़क गए हैं। संतों ने कहा कि जिसने भी शंकराचार्य की मर्यादा को भंग करने की कोशिश की है, उसे बख्शा नहीं जाएगा। इसे लेकर आज संतों की एक बैठक हो रही है, जिसमें इस मुद्दे के साथ-साथ केदारनाथ में साफ-सफाई और शुद्धिकरण को लेकर भी चर्चा की जाएगी।

विवाद की शुरुआत सोमवार को ऊखीमठ के ओंकारेश्वर मंदिर में भगवान केदारनाथ की पूजा शुरू होने के साथ हुई। रावल भीमा शंकर लिंग के अनुसार, आपदा के बाद केदारनाथ मंदिर अशुद्ध हो गया है और जब तक उसका शुद्धिकरण नहीं हो जाता, तब तक वहां पूजा नहीं की जा सकती। शास्त्रों के अनुसार पूजा का क्रम नहीं टूटना चाहिए, इसलिए विग्रह मूर्ति को ओंकारेश्वर मंदिर में स्थापित कर वहां पूजा की जा रही है। इसी बात से शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती खफा हैं। उनका दो टूक कहना है कि कपाट खुलने के बाद रावल को किसी भी स्थिति में मंदिर नहीं छोड़ना चाहिए था। यही शास्त्र है और यही परंपरा भी, जिसका उन्होंने निर्वहन नहीं किया।

इस मामले में रावल भीमा शंकर लिंग का कहना है कि स्वरूपानंद को केदारनाथ की पूजा-परंपराओं का ज्ञान नहीं है। केदारनाथ में रावल गुरु गद्दी में विराजमान रहते हैं और रावल के पांच शिष्यों में से एक केदारनाथ में पूजा करते आए हैं। रावल ने कहा कि जिस भाषा का प्रयोग स्वरूपानंद ने उनके लिए किया है, उस भाषा का प्रयोग वह नहीं करेंगे। रावल किसी भी बंधन से मुक्त हैं और वे कपाट खुलने के बाद भी धर्म प्रचार के लिए देश के किसी भी कोने में जा सकते हैं। जबकि शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती का कहना है कि केदारनाथ के रावल ने परंपराओं को तोड़ा है, लिहाजा उन्होंने मंदिर में पूजा करने का अधिकार भी खो दिया है।

दूसरी तरफ, केदारनाथ मंदिर की साफ-सफाई कर वहां पूजा शुरू कराने की बात को लेकर संतों की नाराजगी बढ़ती जा रही है। मंगलवार को श्री हरिकृष्णा धाम में हुई बैठक में संतों ने एक स्वर में उनकी निंदा कर ऊखीमठ में हो रही पूजा को खारिज कर दिया। मांग की गई कि सरकार अविलंब केदारनाथ में पूजा शुरू कराने की व्यवस्था करे। सरकार ऐसा कर पाने में असमर्थ रहती है तो संतों का एक दल खुद के खर्चे पर केदारनाथ जा वहां स्वयं साफ-सफाई और शुद्धिकरण कर पूजा शुरू करेगा। सरकार को इसके लिए 24 घंटे का समय देने की बात कही गई।

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