रेसक्यू में अहम भूमिका निभा रहा था एमआइ-17

airदेहरादून [अमित ठाकुर]। उत्तराखंड की त्रासदी के बाद आपदाग्रस्त जिलों में राहत और बचाव कार्यो में जुटा वायुसेना का एमआइ-17 वी 5 हेलीकॉप्टर एक खास किस्म का विमान है। देश-दुनिया में इस हेलीकॉप्टर को असाधारण परिस्थितियों में राहत और बचाव कार्य के लिए ख्याति हासिल है। इतना ही नहीं जरूरत पड़ने पर यह हेलीकॉप्टर गनशिप के तौर पर भी काम कर सकता है। यही वजह है कि वायु सेना ने तत्काल इसे राहत व बचाव कार्यो में लगाया है।

सोवियत यूनियन द्वारा निर्मित एमआइ-17 मूल रूप से एक मालवाहक हेलीकॉप्टर है। इसने 1975 में पहली उड़ान भरी। जिसके बाद 1977 में एमआइ-8 एमटी के नाम से यह रशिया की आ‌र्म्ड फोर्सेज में शामिल हुआ। अन्य देशों में इसे एमआइ-17 के नाम से जाना जाता है। एमआइ-17 दुनिया के तमाम देशों में चले अधिकांश बड़े ऑपरेशनों का हिस्सा लिया है। श्रीलंका व लीबिया की सिविल वॉर से लेकर मलेशिया में लगी भीषण आग में राहत कार्यो में अपना लोहा मनवा चुका है। भारत में 1999 में करगिल में ‘सफेद सागर’ ऑपरेशन में इस हेलीकॉप्टर का पाकिस्तानी सेना व आतंकियों के खिलाफ इस्तेमाल किया गया।

एमआइ-17 की इन्हीं तमाम खूबियों को देखते हुए उत्तराखंड के आपदा पीड़ित इलाकों में भी 19 जून से वायुसेना ने इनका इस्तेमाल शुरू किया। एक बार में लगभग 25 लोगों को ले जाने की क्षमता के कारण यह उत्तराखंड में खासा असरदार साबित हुआ है। अभी लगभग 15 एमआइ हेलीकॉप्टर राहत व बचाव कार्यो में जुटे हैं और इसके जरिये हजारों लोगों को वायुसेना सुरक्षित स्थानों तक पहुंचा चुकी है।

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