सुरक्षित तो नैनीताल भी नहीं

29_06_2013-nainital29लखनऊ [रूमा सिन्हा]। पर्यटकों की पसंदीदा नगरी ‘नैनीताल’ भूस्खलन के नजरिए से कतई सुरक्षित नहीं है। भूवैानिकों ने बीते दो-तीन दशकों से यहां हो रहे अधाधुंध निर्माण पर चिंता व्यक्त करते हुए इस पर तत्काल रोक लगाने की सिफारिश की है। भारतीय भूवैानिक सर्वेक्षण (जीएसआइ) के वैज्ञानिकों द्वारा कुमांऊ स्थित नैनीताल के लिए लैंड स्लाइड हैजार्ड जोनेशन मानचित्र तैयार किया गया है।

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भूवैानिकों के अनुसार शहर के विकास में इस मानचित्र का प्रयोग कर केदारनाथ जैसी त्रासदी से काफी हद तक बचा जा सकता है। घाटी भू-तकनीकी दृष्टि से अस्थिर है। कारण यह है कि यह क्षेत्र भूस्खलन के नजरिए से काफी संवेदनशील है। यही वजह है कि समय-समय पर हुए बड़े भूस्खलन की अनदेखी नैनी झील सहित इस खूबसूरत पर्यटक नगरी का अस्तित्व भी खत्म कर सकती है।

करीब डेढ़ किमी. दायरे में फैली नैनी झील के पूर्व दिशा में मौजूद शेर का डांडा रिज, उत्तरी दिशा में नैना पीक, पश्चिमी क्षेत्र में स्थित अयारपाटा रिज भूस्खलन के प्रति जबरदस्त संवेदनशील है। 1867 से अब तक जो भी प्रमुख भूस्खलन हुए हैं वह इन्हीं पहाड़ियों पर हुए हैं। जीएसआइ के निदेशक डॉ.वीके शर्मा ने नैनीताल में भूस्खलन के खतरों को देखते हुए लैंड स्लाइड हैजार्ड जोनेशन मानचित्र तैयार किया है।

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