देहरादून: उत्तराखंड में बाढ़ और तबाही के बाद वहां फंसे लोगों को निकाले जाने का सिलसिला जारी है। बद्रीनाथ में अब भी करीब 1000 लोग फंसे हुए हैं, जिन्हें निकालने का काम आज भी जारी रहेगा। वहीं प्रभावित इलाकों से 1800 से ज्यादा लोग लापता हैं।
शुक्रवार को सेना प्रमुख बिक्रम सिंह ने कहा था कि अगर मौसम ठीक रहा, तो जल्द ही सभी फंसे लोगों को निकाल लिया जाएगा। इसके अलावा कल देहरादून में हेलीकॉप्टर हादसे में शहीद हुए 20 जवानों को श्रद्धांजलि देने के लिए पहुंचे गृहमंत्री सुशील शिंदे ने कहा था कि मलबे के नीचे कितने लोग दबे हैं, इसका अंदाज़ा लगाना मुश्किल है।
पहाड़ों में हो रही बारिश से उत्तरकाशी में भागीरथी नदी उफान पर आ गई है और पानी बढ़ता देख स्थानीय लोग काफी परेशान हैं। गंगा मंदिर के आसपास कटाव शुरू हो गया है। आसपास के दर्जनों मकानों में रहने वाले लोग सुरक्षित जगहों पर चले गए हैं। जिला प्रशासन के लोग कटाव रोकने के साथ ही लोगों से मकान भी खाली करवा रहे हैं, लेकिन पानी की तेज धार लोगों का डर बढ़ा रही है।
उत्तराखंड में कुदरत के कहर के बाद जहां हजारों लोग राहत के लिए आस लगाए बैठे हैं, वहीं देशभर से भेजी जा रही राहत सामग्री जरूरतमंदों तक नहीं पहुंच पा रही है। वजह यह है कि ऋषिकेश से आगे जाने के लिए सरकार के पास कोई इंतजाम नहीं है। हादसे के इतने दिनों बाद भी गुप्तकाशी का कालीमठ इलाका देश से कटा हुआ है और वहां किसी तरह की मदद नहीं पहुंची है।
कालीमठ जाने के सभी रास्ते तबाह हो चुके हैं, पुल टूट चुके हैं। इलाके से पैदल चलकर जैसे-तैसे निकल आए लोगों का कहना है कि रोजी-रोटी के लिए कालीमठ से बाहर निकले तकरीबन सौ लोगों का कोई अता−पता नहीं चल रहा है। सैलाब सब कुछ बहा ले गया है और हालत यह है कि लोग एक वक्त के भोजन के लिए तरस रहे हैं।