मुख्यमंत्री बहुगुणा ने माना, नहीं जान पाएंगे कितनी जानें गई

01_07_2013-30vijaybahugunaदेहरादून [जागरण न्यूज नेटवर्क]। देवभूमि उत्तराखंड में कुदरत के कहर से कितने यात्रियों और स्थानीय निवासियों की जान गई, इसको लेकर जहां तमाम कयास लगाए जा रहे हैं, वहीं मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा का स्पष्ट कहना है कि हम कभी नहीं जान पाएंगे कि कितने लोगों की मौत हुई है।

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उन्होंने कहा कि आपदा में अभी भी लगभग तीन हजार लोग लापता हैं। ऐसी स्थिति में मृतकों का असली आंकड़ा मिलना बहुत मुश्किल है। वहीं रविवार को राहत एजेंसियों ने बदरीनाथ में फंसे 1366 श्रद्धालुओं को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया। अभी भी वहां तीन सौ यात्री फंसे हुए हैं।

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मालूम हो कि शनिवार को राज्य विधानसभा के अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल ने कहा था कि तबाही में कम से कम दस हजार लोग मारे गए हैं। इस पर मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने रविवार को पत्रकारों से बातचीत में कहा कि यह आंकड़ा एक हजार से ज्यादा नहीं है।

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उन्होंने आपदा से निपटने में राज्य सरकार की क्षमता पर उठ रहे सवालों को भी खारिज किया। बताया कि प्रदेश में चार हजार से अधिक गांव प्रभावित हुए हैं।

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जिन गांवों का संपर्क कटा हुआ है, वहां एक महीने का निशुल्क राशन और किरोसिन में सब्सिडी दी जाएगी। इसके अलावा 1335 गांवों में हेलीकॉप्टर के जरिये राशन भेजा जाएगा। सरकार की तरफ से अब तक 285 ट्रक राहत सामग्री भेजी जा चुकी है।

वहीं, बदरीनाथ से यात्रियों को निकालने का क्रम जारी रहा। इसके तहत कुल 1366 यात्री निकाले गए। हालांकि बदरीनाथ में यात्रियों की संख्या को लेकर लगातार भ्रम की स्थिति बनी हुई है। शनिवार को शासन ने दावा किया था कि वहां अभी पांच सौ यात्री हैं। पर अब चमोली के डीएम तीन सौ यात्रियों के वहां होने की बात कर रहे हैं। हालांकि स्थानीय सूत्रों के मुताबिक, यह संख्या एक हजार के आसपास है।

आपदा के एक पखवाड़े बाद पहली बार केदारघाटी के दूरस्थ गांवों में तीन हेलीकॉप्टर से खाद्यान्न भेजा गया। प्रशासन धीरे-धीरे सक्रिय हुआ है, लेकिन राहत का इंतजार कर रहे गांवों का सब्र टूटने लगा है। ग्रामीणों का कहना है कि राहत के नाम पर मिल रही मुट्ठीभर सामग्री से हमारा कब तक गुजारा होगा। इसके अलावा चमोली जिले की पिंडर घाटी अभी पूरी तरह से उपेक्षित पड़ी है। घाटी के तकरीबन दो सौ गांव पूरी तरह से कटे हैं। उत्तरकाशी जिले में भी हालात अलग नहीं हैं। भागीरथी की तबाही से बेघर हो चुके सैकड़ों परिवारों को तत्काल मदद की जरूरत है, जबकि प्रशासन के प्रयास नाकाफी साबित हो रहे हैं।

नहीं हो पाया अंतिम संस्कार

केदारघाटी में मौसम खराब होने के चलते रविवार को भी शवों का अंतिम संस्कार नहीं हो पाया। बीते चार दिनों में वहां अब तक केवल 36 शवों का ही दाह संस्कार किया जा सका है। शासन ने इसके लिए दो सौ लोगों की टीम रवाना की है, जिसमें डॉक्टर, पर्वतरोही और प्रशिक्षित पुलिसकर्मी शामिल हैं। मंगलवार से ये लोग दाह संस्कार की प्रक्रिया शुरू कर देंगे।

हालांकि केदारनाथ धाम में हालात इतने खराब हैं कि तीन दिन पहले वहां मृतकों के डीएनए सैंपल लेने गए तीनों डॉक्टर बीमार होकर वापस लौट आए हैं। डॉक्टरों ने शासन से केदारनाथ क्षेत्र के वर्तमान हालात के मद्देनजर फिलहाल तमाम गतिविधियां बंद कराने का सुझाव दिया है। दूसरी तरफ, घाटी में जहां-तहां पड़े सड़े-गले शवों को जंगली जानवर अपना निवाला बनाने लगे हैं।

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