कानपुर, [ऋषि दीक्षित]। दो दिन पहले किदवई नगर पुलिस ने एक मेडिकल स्टोर संचालक व परचून दुकानदार को नशे का इंजेक्शन बेचने के आरोप में गिरफ्तार कर जेल भेजा था। इसके बावजूद शहर में ‘मीठी मौत’ बांटने वाली प्रतिबंधित दवाएं बिना डॉक्टर के पर्चे के खुलेआम बिक रही हैं और इनका नशे में इस्तेमाल किया जा रहा है। गुप्त भाषा में ‘सैट’ मांगने पर मेडिकल स्टोर वाले समझ जाते हैं कि असली ग्राहक है और कोई खतरा नहीं है। चिंता की बात यह है कि अब मजदूर तबके के साथ बीटेक व एमबीए छात्र भी अपनी नसों में जहर उतार रहे हैं।
मरीजों की जान बचाने वाली दवाओं के बेजा इस्तेमाल का सच जानने के लिए सोमवार को जागरण टीम ने पड़ताल की तो पता चला इस गोरखधंधे में कुछ मेडिकल स्टोर संचालक, झोलाछाप व नर्सिग होम के कर्मचारी तक संलिप्त हैं। मेडिकल स्टोर संचालक बिना डॉक्टर के पर्चे के वे इंजेक्शन धड़ल्ले से बेच रहे हैं, जिनका नशे के लिए इस्तेमाल हो रहा है। विनोद मिश्र ने बर्रा आठ के एक मेडिकल स्टोर में ‘सैट’ मांगा तो उसे खाकी लिफाफे में एक इंजेक्शन व सीरिंज पकड़ा दी गई। ललित बाजपेई को काकादेव के एक मेडिकल स्टोर से नशे का इंजेक्शन मिल गया। हेमंत मिश्र ने फजलगंज स्थित मेडिकल स्टोर पर कोड वर्ड में इंजेक्शन मांगा तो फौरन पकड़ा दिया गया। रामेश्वर यादव को जूही के एक मेडिकल स्टोर से सैट दिया गया।
ये इंजेक्शन जीवन रक्षक, खुलेआम नहीं बिकते
बुफीजेसिक, टिडीजेसिक, फोर्टबीन, एविल, फेनेरगान, कम्पोस, सेरिनेस, डेकाड्रान व मार्फिन जैसे इंजेक्शन जीवन रक्षक दवाओं की श्रेणी में आते हैं। इनका उपयोग आपरेशन के समय होता है। कैंसर के असहनीय दर्द में भी ये इंजेक्शन लगाए जाते हैं।
कहां-कहां हो रही बिक्री
रावतपुर, काकादेव, फजलगंज, जूही, बर्रा 8, नौबस्ता गल्ला मंडी, साकेतनगर, बड़ा चौराहा, कल्याणपुर, डिप्टी पड़ाव, जाजमऊ, जरीबचौकी, श्याम नगर, गोविंद नगर मलिन बस्ती व बाहरी इलाके।
इंजेक्शन लेने के दुष्परिणाम
पीड़ित आलोक कटियार की पीठ, पैर और हाथ इंजेक्शन लेने की वजह से सड़ गए हैं। संजय की पीठ सड़ने पर सरकारी अस्पताल के एक वरिष्ठ सर्जन ने आपरेशन किया है।