बलात्कारी जिन्हें अदालत ने दी फांसी, राष्ट्रपति ने माफी

Hindi-Jokes-Jailer-Faasi-se-pehle-kisse-milogeनई दिल्ली। दिल्ली गैंगरेप मामले में चारों दोषियों को फांसी देने की मांग हो रही है, लेकिन इस बात की क्या गारंटी है कि जिला अदालत से सजा-ए-मौत मिलने के बावजूद ये लोग फांसी की सजा से नहीं बचेंगे। कम-से-कम पिछले दो दशकों के कई बलात्कारों के मामले देखकर तो ऐसा नहीं लगता। पिछले ही साल तत्कालीन राष्ट्रपति ने ऐसे कई अलग-अलग बलात्कारी हत्यारों की फांसी की सजा को उम्रकैद में बदल दिया था, जिनके लिए अदालत ने सजा-ए-मौत मुकर्रर की हुई थी।

1. धर्मेद्र सिंह और नरेंद्र यादव, उत्तर प्रदेश-इन दोनों ने प्रॉपर्टी के मामले में पांच लोगों की हत्या कर दी थी, जिनमें एक़ 15 साल की लड़की भी शामिल थी। 1994 के इस मामले में 15 साल की लड़की के साथ दोनों ने हत्या से पहले बलात्कार भी किया था।

2. मोलई राम और संतोष यादव, मध्य प्रदेश-फरवरी, 1996 में इन दोनों ने एक जेलर की नाबालिग बेटी के साथ बलात्कार के बाद उसकी हत्या कर दी थी। 1999 में इन्हें अदालत से फांसी की सजा मिली थी। इनमें से संतोष यादव तो पहले से ही बलात्कार की सजा काट रहा था और उसने एक और बलात्कार को अंजाम दिया।

3. सतीश, उत्तर प्रदेश-इस दरिंदे ने छह साल की बच्ची के साथ बलात्कार के बाद उसे मौत के घाट उतार दिया था। इसके लिए सात साल पहले अदालत ने सजा-ए-मौत मुकर्रर की थी।

4. बंदू बाबूराव तिड़के, कर्नाटक-इस शख्स ने 12 साल की लड़की के साथ बलात्कार किया और उसकी हत्या कर दी। प्रतिभा पाटील ने इसकी मौत की सजा को 2012 में उम्रकैद में तब्दील किया था। लेकिन यह पांच साल पहले एचआईवी एड्स के चलते मर चुका था।

5. बंटू, उत्तर प्रदेश-इस आदमी ने भी नाबलिग लड़की से बलात्कार करने के बाद उसकी हत्या कर दी थी। हत्या करने से पहले बंटू ने इस बच्ची के गुप्तांग के अंदर पाइप भी घुसा दिया था। फिर भी इसकी मौत की सजा को उम्रकैद में बदल दिया गया।

पश्चिम बंगाल का धनंजय चटर्जी वह आखिरी बलात्कारी था, जिसे फांसी पर चढ़ाया गया था। धनजंय को 2004 में फांसी दी गई थी।

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