विदिषा / कलेक्टर श्री बी.एम. ओझा ने कुछ ही समय पूर्व अपना कार्यभार ग्रहण करते ही अपनी अच्छी प्रषासनिक क्षमता का परिचय देना प्रारंभ कर दिया। अप-डाउन करने वाले अधिकारियों-कर्मचारियों के विरूद्ध जैसी कड़ी कार्यवाही उन्होंने की है, वैसी कार्यवाही पहले कभी नहीं हुई। उन्होंने एक ओर जहां प्रषासनिक अमले के अप-डाउन पर रोक हेतु रेल्वे स्टेषन पर सी.सी. कैमरे लगवाए तो जिला चिकित्सालय की निगरानी हेतु वहां भी सी.सी. कैमरे लगवाकर उनका कनेक्षन अपने खुद के मोबाइल में करा लिया, ताकि जिला अस्पताल की गविधियों पर स्वयं सतत नजर रख सकें। उनके अन्य अनेक निर्णय भी निष्चित रूप से व्यापक जनहितकारी रहे हैं।
ऐसे जनहितैषी कलेक्टर श्री ओझा के ही अधीन कार्यरत ओझा सरनेम वाले दो ओझा अधिकारी प्रषासन को कलंकित करने के साथ कलेक्टर को भी लज्जित करने में लगे हैं। इनमें से जिले की गंजबासौदा जनपद पंचायत में पदस्थ मुख्य कार्यपालन अधिकारी (सीईओ) के.के. ओझा की करतूत तो ना केवल समाचार-पत्रों के विदिषा संस्करणों में छायी रही, बल्कि भोपाल के संस्करणों में भी वैसी ही सुर्खियों में रही। विभिन्न न्यूज चैनलों पर भी भोपाल हेडलाइंस से खास ब्रेकिंग न्यूज बनी। इन सीईओ साहब ने अपने क्षेत्र के समस्त सरपंचों आदि को विधिवत शासकीय पत्र लिखकर मुख्यमंत्री के विदिषा में 22 सितम्बर को संपन्न कार्यक्रम हेतु भीड़ जुटाने शासकीय व्यय पर वाहन किराए पर लेने के निर्देष जारी कर दिए थे। भोपाल में मध्यप्रदेष निर्वाचन आयोग को हुई उनकी षिकायत पर उनकी काली करतूत समाचारों की सुर्खियां बनीं।
ओझा के बोस तो और भी दबंग
गंजबासौदा सीईओ के.के. ओझा ने तो वह पत्र चुनावी आदर्ष आचरण संहिता लागू होने के पूर्व लिखा था, पर उनके बॉस जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी एस.बी.सिंह तो इतने दबंग हैं कि विगत दिवस ही अपनी पीली बत्ती की शासकीय गाड़ी से भोपाल में भाजपा के प्रदेषाध्यक्ष नरेन्द्र सिंह तोमर से भेंट करने तोमर के बंगले पर पहुंच गए और जब मीडिया ने उनकी गाड़ी सहित उनकी फिल्म उतारनी शुरू की तो वे गाड़ी में बैठकर इतनी तेजी से भागे कि मीडिया के रोके भी नहीं रूके। इतना ही नहीं श्री सिंह ने मीडिया को झूठ बोलकर गुमराह करने का गुनाह भी किया। जिस मीडिया ने उनका कवरेज किया था जब उसने मोबाइल पर उनसे तत्काल बात की तो उन्होंने कहा कि वे तो भोपाल में थे ही नहीं। इस पर मीडिया ने अपने विदिषा सहयोगी को सच्चाई पता करने को कहा। विदिषा में उनके कार्यालय तथा निवास से यही जानकारी मिली कि वे तो पिछले दिन से भोपाल गए हुए थे। जाहिर है कि उन्होंने नरेन्द्र सिंह तोमर के पहले कुछ और भाजपा नेताओं की परिक्रमा भी आदर्ष आचार संहिता लगने के बाद की होगी।
विदिषा के ओझा ने तो सबको पीछे छोड़ दिया
गंजबासौदा के उपर्युक्त के.के. ओझा को तो विदिषा जिला मुख्यालय पर विदिषा तहसील में पदस्थ नायब तहसीलदार के.एन. ओझा ने काफी पीछे छोड़ दिया है। ग्राम सहजाखेड़ी के एक किसान मुन्नालाल शर्मा ने कलेक्टर को षिकायती आवेदन पेष कर के.एन. ओझा पर 10 हजार रू. रिष्वत मांगने का संगीन आरोप विगत दिवस ही लगाया है। चुनावी आदर्ष आचरण संहिता लागू होने के बाद भी के.एन. ओझा के हौंसले इतने बुलंद है कि वे भ्रष्टाचार करने से नहीं चूक रहे हैं। दरअसल, के.एन. ओझा तो शुरू से भ्रष्टाचार में ऐसे डूबे हैं कि रिष्वत लिए बिना कभी कोई काम नहीं करते हैं। भ्रष्टाचार के लिए उनके दुस्साहस का सबसे बड़ा प्रमाण भी उजागर हुआ है। यह मामला तब का है, जब अतिवृष्टि तथा ओलावृष्टि से पीड़ित किसानों को मुआवजा राषि के चेक वितरित किए गए थे। विदिषा तहसील के ग्राम चितोरिया के दो कृषकों पत्रकार द्वय अनुराग शर्मा तथा उनके अनुज अमिताभ शर्मा को भी विदिषा तहसील द्वारा राहत राषि के चेक जारी तो किए गए, पर इन दोनो भाइयों को वे चेक आज तक प्राप्त नही हुए हैं। शर्मा बंधुओं ने जब मालूमात की तो उन्हे पता चला कि नायब तहसीलदार के.एन.ओझा ने एक वकील प्रकाष रघुवंषी से सांठगांठ तथा मिलीभगत कर चेकों में हेराफेरी कर वे चेक प्रकाष रघुवंषी को दे दिए थे, जबकि प्रकाष रघुवंषी का उन चेकों से कोई वास्ता नहीं था। बड़ा ताज्जुब यह है कि शर्मा बंधुओं की ओर से अमिताभ शर्मा ने लम्बे अरसे पहले कलेक्टर को विधिवत आवेदन प्रस्तुत कर समूचे प्रकरण की सघन निष्पक्ष जांच कर के.एन. ओझा तथा प्रकाष रघुवंषी के विरूद्ध फौजदारी कार्यवाही के तहत एफआईआर दर्ज कराए जाने का निवेदन किया था, परन्तु इतने लम्बे समय बाद भी उस आवेदन पर कोई कार्यवाही अब तक नहीं हुई है। यहां तक कि उस आवेदन का अता-पता भी नहीं चल रहा है, जबकि आवेदन पर स्वयं कलेक्टर बी.एम.ओझा ने अपने निर्देष स्वयं अंकित किए थे। जाहिर है कि नायब तहसीलदार के.एन.ओझा और वकील प्रकाष रघुवंषी ने कलेक्टर के आदेषों को भी धता बताने का दुस्साहस दिखाया है। विधानसभा निर्वाचन सन्निकट होने और चुनावी आदर्ष आचरण संहिता लागू होने के बाद भी के.एन.ओझा के काले कारनामें जारी हैं।
-अमिताभ शर्मा
पत्रकार दैनिक नईदुनिया कार्यालय
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