जयपुर। महिलाएं स्वयं को लाचार व बेचारी नहीं समझें, बल्कि खुद को मजबूत बनाएं और महिला हिंसा के खिलाफ पीडितों की आवाज बनकर उन्हें इंसाफ दिलाएं। इससे समाज में महिला हिंसा रोकने तथा लडकियों को बचाने में मदद मिलेगी। एक्षन एड की ओर से जेंडर समानता के लिए चलाए जा रहे अभियान बेटी जिंदाबाद के तहत बुधवार को यहां जवाहर कला केंद्र में आयोजित महिला हिंसा के विरूध जनसंवाद कार्यक्रम में यह बात उभरकर सामने आई। कार्यक्रम में पूरे प्रदेष से बडी संख्या में आई महिलाओं ने षब्दों के जरिए महिला हिंसा की दास्तां बयान की। कई मामले ऐसे भी सामने आए जिन्हें सुनकर जनसंवाद कार्यक्रम में मौजूद लोगों की आंखें नम हो गई। विभिन्न तरह की हिंसा से पीडित कई महिलाओं ने खुद पर हुए जुल्म की दास्तां सुनाने के साथ यह भी बताया कि किस तरह उन्होंने एक्षन एड से जुडे महिला संगठनों की मदद लेकर संघर्ष करते हुए अपने जीने की राह बनाई।
राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष लाड कुमारी जैन की मौजूदगी में आयोजित जनसंवाद कार्यक्रम में महिला हिंसा के कई मामलों में पुलिस एवं प्रषासन की लचर व्यवस्था पर सवाल उठाए गए। दलित महिला से बलात्कार के मामलों में पीडिता को मुआवजे की मंजूरी में किए जाने वाले विलंब को गंभीरता से लिया गया। कई मामलों में पीडिता को संबल देते हुए ओजस्वी नारे लगाकर अन्य महिलाओं को संघर्ष के लिए प्रेरित किया गया।
जनसंवाद के दौरान उदयपुर की दलित महिला सीमा ;परिवर्तित नामद्ध का मामला सबसे ज्यादा चर्चा में रहा। उन्नीस साल की सीमा ने जब खुद पर हुए जुल्मों की दास्तां बताई तो लोग सिहर उठे। बदसलूकी होने पर सीमा ने जब रोजाना की मेहनत-मजदूरी का काम छोड दिया तो ठेकेदार ने एक दिन उसे रास्ते में वैन में खींच लिया और कई लोगों ने मिलकर उसकी इज्जत से खिलवाड किया। षिकायत किए जाने के डर से उन्होंने सीमा को रेल पटरी पर फेंक दिया जिससे उसके दोनों पैर कट गए और वह दरिंदगी की षिकार होने के साथ जीवनभर के लिए अपाहिज हो गई। अभी तक इस परिवार को आरोपी दबंग लोगों की ओर से धमकियां दी जा रही हैं। पुलिस ने चालान भी पेष नहीं किया है। सरकार से कोई सहयोग नहीं मिला है।
आबू की गीता ;परिवर्तित नामद्ध भी कई महीनों से न्याय की गुहार लगा रही है। उसके पति को कुछ लोग घर से बुलाकर ले गए और षराब पिला कर मारा-पीटा जिससे 6 दिन बाद उसकी मौत हो गई। पुलिस ध्यान नहीं दे रही, कोई सुनवाई नहीं हो रही। जोधपुर के किषनलाल ने अपनी दो बेटियों के साथ हुई ज्यादती में बताया कि दबंग परिवार के लोग कैसे उनके साथ दरिंदगी करते रहे। इसी साल जुलाई में पीडित लडकी ने नवजात को जन्म दिया। इस मामले में पुलिस की भूमिका पर सवाल उठाए गए और अभी तक पीडिता को कोई मुआवजा नहीं मिलने पर आक्रोष जताया गया।
बुलंदी की जहांआरा ने 14 साल तक खुद पर हुए जुल्मों को बयां कर महिलाओं को प्रेरित किया कि वे अपनी ताकत पहचानें और यह संकल्प लें कि न जुल्म सहूंगी, न सहने दूंगी। जहांआरा ने बताया कि पहले पति उसे सजा देते थे और आज वह पति को उसके जुल्मों की सजा दे रही है।
हाल ही फिल्म अभिनेत्री प्रियंका चौपडा के साथ एक षो में हिस्सा लेकर आई धौलपुर में प्रयत्न संस्था से जुडी रजिया ने अपनी आपबीती सुनाई। उदयपुर के मल्लातलाई की सुनीता ;परिवर्तित नामद्ध ने घरेलू हिंसा का मामला सुनाया और बताया कि इस इलाके में दस-पंद्रह महिलाओं की गुलाबी गैंग घरेलू व सामाजिक जुल्मों की षिकार महिलाओं को न्याय दिलाने के प्रयास में जुटी हैं लेकिन पुलिस प्रषासन से कोई मदद नहीं मिलती। उन्होंने डूंगरपुर में तैनात पुलिस कांस्टेबल द्वारा पत्नी षांतिबाई के साथ किए गए अत्याचारों की दास्तां भी सुनाई। यौन षोषन की षिकार जोधपुर की एक महिला ने इस बात पर आक्रोष जताया कि पुलिस इसे झूठी षिकायत बताती है। आबू की गुजरी बाई, गुमानपुरा की जस्सू बहन, सलूंबर की कलावती, धौलपुर की षीला, अलवर की मीनू व हरजी सहित अनेक महिलाओं ने अपने महिलाओं ने अपने साथ हुए अत्याचारों की दास्तां सुनाई।
प्रारंभ में एक्षनएड की गुजरात एवं राजस्थान की क्षेत्रीय प्रबंधक षबनम अजीज ने बेटियों को बचाने एवं महिला हिंसा रोकने के लिए संस्था की ओर से चलाए जा रहे अभियान बेटी जिंदाबाद के बारे में बताया। उन्होंने बताया कि जनसंवाद में सामने आए सभी मामलों का दस्तावेजीकरण कर कानूनी एवं सरकारी कार्रवाई के गंभीर प्रयास किए जाएंगे। संचालन एक्षनएड की कार्यक्रम अधिकारी जिज्ञासा ने किया। कार्यक्रम में महिला संगठनों से जुडी कविता श्रीवास्तव, निषा सिदधू, रेणुका पामेचा एवं अन्य मानवाधिकार संगठनों से जुड़े कार्यकर्त्ता तुलसीदास राज,्र गोपाल वर्मा, षिव नयाल,विजय गोयल, मुस्लिम महिला संगठन की पदाधिकारी कुतुबजहॉ, एवं गुजरात के मुिस्लम महिला संगठन निस्वॉ के सदस्य आदि भी मौजूद थे। इन्होंने कहा कि अब महिलाओं के प्रति होने वाली हिंसा पर चुप्पी नहीं रखेंगे। इन्होंने इस बात पर अफसोस जताया कि पीडित महिलाएं न्याय के लिए आगे आने में संकोच करती हैं जिससे औसतन दस मामलों में से केवल एक मामला ही सामने आ पाता है।
-कल्याणसिंह कोठारी
मो 94140 47744
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