ओला के निधन से झुंझुनूं से राजनीतिक शून्य

shishram-ola 1शेखावाटी और खासकर झुंझुनूं की राजनीति में शीशराम ओला के निधन से राजनीतिक शून्य की स्थिति बन गई। चार राज्यों के चुनाव में शिकस्त खा चुकी कांग्रेस के लिए उनका जाना ज्यादा चिंता वाला है। ऐसे में जब पांच महीने बाद लोकसभा चुनाव होने हैं सभी के जेहन में एक ही सवाल है ओला के बाद कौन?
वे वटवृक्ष की तरह थे। राजनीतिक कद इतना बड़ा हो चुका था कि अब कोई समझ ही नहीं पा रहा कि लोकसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी कौन होगा? इसी परिवार से अथवा और कोई। वैसे जब से उन्हें अस्पताल में भर्ती करवाया गया था, राजनीति के विश्लेषक यही कह रहे थे कि प्रत्याशी इसी परिवार से होगा। बड़े बेटे बृजेंद्र ओला दूसरी बार झुंझुनूं से विधायक बने हैं। अकाल राहत राज्यमंत्री भी रह चुके हैं। शीशराम की बड़ी बहू डॉ. राजबाला भी राजनीति के मैदान में हैं। वे कॉलेज लेक्चरर से इस्तीफा देकर जिला प्रमुख रह चुकी हैं। वे पिछले विधानसभा चुनाव में भी काफी सक्रिय रही थीं। छह दशक से ओला शेखावाटी में जाट समाज और किसानों को कांग्रेस के पक्ष में एकजुट रखे हुए थे। कांग्रेस को उनकी गैरमौजूदगी में अरसे बाद पहला चुनाव लडऩा है। वे अंचल की राजनीति में डॉ. चंद्रभान को विकल्प तरह देख चुके थे। मलसीसर में आखिरी राजनीतिक सभा में उन्होंने कहा था लोकसभा में मुझे वोट भले ही मत देना। आप इन्हें जिताएं। http://news4rajasthan.com

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